सरवनखेड़ा बीआरसी की कार्यप्रणाली से शिक्षक परेशान
बीआरसी सरवनखेड़ा में किसी प्रकार का कार्य विभाजन न होने के कारण शिक्षकों को स्कूली कार्य करने में समस्या हो रही है। शिक्षकों द्वारा जब किसी कार्य हेतु कार्यालय में संपर्क किया जाता है तो कार्यालय के कर्मचारी इधर-उधर समझाते नजर आते हैं जिससे शिक्षकों की समस्या का निस्तारण नहीं हो पा रहा है।
कानपुर देहात। बीआरसी सरवनखेड़ा में किसी प्रकार का कार्य विभाजन न होने के कारण शिक्षकों को स्कूली कार्य करने में समस्या हो रही है। शिक्षकों द्वारा जब किसी कार्य हेतु कार्यालय में संपर्क किया जाता है तो कार्यालय के कर्मचारी इधर-उधर समझाते नजर आते हैं जिससे शिक्षकों की समस्या का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में यू डायस पोर्टल एवं डीबीटी का कार्य गतिमान है जिसमे शिक्षकों के सामने कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
समस्याओं के समाधान के लिए शिक्षक जब बीआरसी से संपर्क करते हैं तो उन्हें इधर-उधर टहलाया जा रहा है साथ ही कुछ सप्ताह पहले ही कार्यालय सहायक सुमन देवी को खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा समस्त प्रकार के अवकाश से सम्बंधित कार्यों के लिए चार्ज दिया गया है किंतु उनके द्वारा शिक्षकों के न तो फोन रिसीव किए जाते हैं और न ही मैसेज करने पर कोई जवाब दिया जाता है जिससे शिक्षकों को अपनी ही छुट्टी लेने में समस्या का सामना कर पड़ रहा है, इतना ही नहीं विकासखंड में तैनात खंड शिक्षा अधिकारी अजीत प्रताप सिंह कार्यालय में कब आते हैं इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं रहती है उनको जब कोई शिक्षक फोन करता है तो वह उठाते नहीं हैं और कार्यालय लिपिक से अगर कोई पूछता है तो वह कहती हैं हमे जानकारी नहीं है। कार्यालय के ढुलमुल रवैया के कारण डीबीटी के तहत सैकड़ों बच्चों के आधार कार्ड, बैंक जानकारी बेरीफाई नहीं हो पाई है। जिस कारण विद्यालय स्तर पर बच्चे पेंडिंग शो हो रहे हैं।
पिछले कई महीनों से चल रही पेंडेंसी को शिक्षा विभाग अब तक पूरी नहीं कर पाया है। कहीं इंचार्ज के स्तर पर तो कहीं खंड शिक्षा अधिकारी के स्तर पर पेंडेंसी है। जिस कारण जनपद की रैंकिंग खराब है। महानिदेशक ने बीएसए से सभी बच्चों के डीबीटी कार्य सही कराकर पोर्टल पर कार्य पूर्ण कराने के लिए कहा है। बता दें कि डीबीटी के माध्यम से बच्चों के अभिभावकों के खाते में ड्रेस, बैग, जूता-मोजा आदि खरीदने का 1200 रुपए जाता है, उसके लिए अभिभावकों के खाते में आधार मोबाइल के साथ खाता संख्या सीड होना चाहिए। खाते में सीड न होने की वजह से अभिभावकों के खाते में रुपया नहीं पहुंच पाया है। इससे अभिभावक भी परेशान हैं।