साथ रहने वाला इतनी जल्दी बदलेगा। किसे पता था दोस्त दुश्मन निकलेगा।
साथ रहने वाला इतनी जल्दी बदलेगा। किसे पता था दोस्त दुश्मन निकलेगा।फूलों को हटाने लगे,मेरे रास्ते में कांटों को बिछाने लगे।आवाज सुनकर जो पास आते थे,मुझे देखकर अब कतराने लगे।पत्थर है जो वो कहां पिघलेगा, किसे पता था दोस्त दुश्मन निकलेगा।

साथ रहने वाला इतनी जल्दी बदलेगा। किसे पता था दोस्त दुश्मन निकलेगा।फूलों को हटाने लगे,मेरे रास्ते में कांटों को बिछाने लगे।
आवाज सुनकर जो पास आते थे,मुझे देखकर अब कतराने लगे।पत्थर है जो वो कहां पिघलेगा, किसे पता था दोस्त दुश्मन निकलेगा।साथ रहने वाला….।
अजनबी बनके जिंदगी बिताने लगे,दांव पेंच मेरे साथ चलाने लगे।अपने को अच्छा साबित करने के लिए,दुनियां को मुझे बुरा बताने लगे।कितने दिन और ऐसा चलेगा, किसे पता था दोस्त दुश्मन निकलेगा।
साथ रहने वाला इतनी जल्दी…..।उलझनों में उलझाते रहे,दिल का राज छुपाते रहे।अंदर से कुछ और थे,बाहर से कुछ और नजर आते रहे।मेरी कमी महसूस होगी तब तू भी हांथ मलेगा,किसे पता था दोस्त दुश्मन निकलेगा।साथ रहने वाला इतनी जल्दी बदलेगा।
गीतकार अनिल कुमार दोहरे।
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