अमन यात्रा ,कोटा राजस्थान : प्रभु को प्राप्त करने, उन्हें खुश करने, उनकी पूरी दया प्राप्त करने का सभी के लिए सुलभ तरीका बताने समझाने वाले, धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातों के मर्म को समझाने वाले जिससे उन्हें केवल रटा न जाये बल्कि उनसे पूरा फायदा जीवों को मिले, प्रकृति द्वारा मनुष्य को समय-समय पर दी जाने वाली प्रेरणा व इशारे को खुलकर समझाने वाले, भौतिक और आध्यात्मिक तरक्की की अगली सीढ़ी पर चढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने वाले वक़्त के महापुरुष सन्त सतगुरु दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी परम दयालु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 5 अगस्त 2022 प्रातः कालीन बेला में कोटा (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि सावन का महीना धार्मिक महीना कहलाता है। इसमें ज्यादातर लोग पूजा-पाठ, तमाम धार्मिक अनुष्ठान करते, तीर्थों में दर्शन के लिए जाते हैं लेकिन सावन का मतलब क्या होता है? सा वन। यानी जैसे थे वैसा बन। कैसे थे?
सावन का महीना याद दिलाता है कि सा वन यानी जैसे थे वैसा बन
सभी लोग स्त्री पुरुष एक दिन मां के पेट में थे। नौ महीना रहने के बाद जन्म हुआ था। जब बाहर निकले तो शरीर आवरण गंदगी रहित था। मां के पेट की गंदगी जो थोड़ी बहुत लगी थी वही शरीर में लगी थी। सफाई करने के बाद ये मैल बाद में आया। जैसे थे वैसे बन, सावन का महीना क्या याद दिलाता है? कि आप पहले निर्मल स्वच्छ साफ थे अब वैसे बनो।
गोस्वामी जी ने कहा जो निर्मल मन होते हैं वह हमको बहुत प्रिय होते हैं
देखो बच्चा जब पैदा होता है तब उसको कोई छल कपट धोखाधड़ी जाल फरेब करना बेईमानी चोरी हिंसा हत्या करना नहीं आता है। बच्चा एकदम से निर्मल रहता है। कहा गया है निर्मलता जब तक नहीं आती है तब तक वह प्रभु रीझता नहीं है चाहे कितना भी पूजा पाठ अनुष्ठान किया जाए। वह रीझता, खुश कब होता है? दया कब करता है? कहा गया है-
निर्मल मन जन सो मोहि पावा।
मोहे कपट छल छिद्र न भावा।।
गोस्वामी महाराज जी ने कहा निर्मल मन जो होते हैं वह हमको बहुत प्रिय होते हैं, हम उनसे बहुत प्रेम करते हैं, उन पर हमारी पूरी दया रहती है।
सावन का महीना मन निर्मल करने का हर साल आता है
जैसे शरीर निर्मल था, मन को निर्मल करने का महीना हर साल आता है। परमात्मा की अंश जीवात्मा जो इस शरीर को चलाती है, इसको उसी तरह से निर्मल बना देना है कि यह प्रभु के पास आराम से पहुंच जाए, चली जाय।
बाबा उमाकान्त जी महाराज के वचन- 10 जुलाई 2022, गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम जयपुर
मन को विषय वासनाओं में फंसाए रखोगे तो पार नहीं हो सकते हो। इच्छाओं पर अंकुश नहीं लगता है तो बुद्धि काम नहीं करती है। यह मन पकड़ में तब आएगा जब गुरु से प्रीत करोगे। भजन में 2 घंटा समय निकालो।लोगों को इकट्ठा करके समझा करके ध्यान भजन करो और करवाओ। भजनानंदी को खान-पान का ध्यान रखना चाहिए, कैसा अन्न है कहां से आया, उसका असर तुरंत आता है। गुरु की दया अमृत की तरह काम करती है। दसवां अंश समय का और मेहनत की कमाई का निकालने का संकल्प बनाओ। मन चित्त बुद्धि की डोरी जब गुरु के हाथ में पकड़ा देते हैं तो बुद्धि काम करने लगती है। रूखी रोटी अगर 6 महीने खा लो तो रोग रहित हो जाओगे।
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