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लखनऊ / कानपुर देहात। बेसिक शिक्षा विभाग में बच्चों को शिक्षा देने से ज्यादा विभागीय घालमेल नजर आ रहे है। जिस विभाग पर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी है उसी विभाग के अधिकारी यह तक नहीं बता पा रहे हैं कि प्रदेश में कितने परिषदीय विद्यालय हैं और उनमें कितने शिक्षक कार्यरत हैं।
शिक्षक भर्ती का इंतजार कर रहे बेरोजगार ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत बेसिक शिक्षा विभाग से जानकारी मांगी थी कि प्रदेश में कितने परिषदीय विद्यालय हैं और उनमें कितने शिक्षक कार्यरत हैं तथा कितने पद रिक्त हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों को नहीं पता है कि प्रदेश में कितने स्कूल संचालित हैं और उनमें कितने शिक्षक पढ़ा रहे हैं। परिषदीय प्राथमिक स्कूल में शिक्षक भर्ती का इंतजार कर रहे प्रशिक्षित बेरोजगार इन्दूभाल तिवारी ने बेसिक शिक्षा निदेशक से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत नौ बिन्दुओं पर जानकारी मांगी थी। उन्होंने प्रदेश में कुल परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों की संख्या, कुल एकल और शिक्षक विहीन स्कूल, शिक्षकों के कुल सृजित व कार्यरत (शिक्षामित्र/संविदाकर्मियों को छोड़कर) पदों की संख्या, छात्र-शिक्षक अनुपात, शिक्षामित्र/संविदाकर्मियों की संख्या, वित्तीय वर्ष 2018-19 से अब तक सेवानिवृत्त अध्यापकों की संख्या व नवनिर्मित स्कूलों की संख्या और प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित छात्रों की संख्या मांगी थी। इन्दूभाल के आवेदन पत्र पर पहली बार में निदेशक की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई जिसके बाद उन्होंने अपील की।
अपील का जवाब संयुक्त शिक्षा निदेशक (बेसिक) लखनऊ गणेश कुमार ने एक जून को ऑनलाइन माध्यम से दिया है। उन्होंने नौ प्रश्नों का जवाब एक लाइन में दिया है जिसमें लिखा है कि ऐसी कोई संख्यात्मक सूचना उपलब्ध नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि इतने उच्च पद पर आसीन विभागीय अधिकारी तक को यह नहीं मालूम कि प्रदेश में कितने परिषदीय विद्यालय संचालित हैं और उनमें कितने शिक्षक पढ़ा रहे हैं तो इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है। इससे साफ जाहिर होता है कि बेसिक शिक्षा विभाग में सबकुछ हवा हवाई चलता है कभी कहते हैं कि शिक्षकों के रिक्त पद नहीं, तो कभी कहते हैं सरप्लस शिक्षक हो गए हैं तो कभी कहते हैं कि 51000 रिक्त पद हैं विभागीय अधिकारी लगता है हर समय भांग के नशे में ही रहते हैं क्योंकि उन्हें खुद पता नहीं रहता कि हमने कब क्या कहा है। विभाग के जवाब से असंतुष्ट बेरोजगार इन्दूभाल ने अब इस प्रकरण को हाईकोर्ट में ले जाने का निर्णय लिया है।
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