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सिर पर परीक्षाएं और विभाग प्रशिक्षण में ही है व्यस्त

परिषदीय स्कूलों की वार्षिक परीक्षाएं सिर पर हैं लेकिन विभाग परीक्षाओं की तैयारी के बजाए लंबित सेवारत प्रशिक्षण कार्यक्रमों को ही पूरा करने में जुटा है। प्रशिक्षण में शिक्षकों के व्यस्त रहने के कारण स्कूली बच्चों की परीक्षा पूर्व की तैयारी प्रभावित हुई है। परिषदीय स्कूलों में 16 मार्च से 21 मार्च के मध्य वार्षिक परीक्षाएं आयोजित होंगी। इस बार वार्षिक परीक्षाओं की अवधि ढाई घंटे होगी। प्रश्नपत्रों में अति लघु उत्तरीय, बहुविकल्पीय, लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न सम्मिलित होंगे

कानपुर देहात। परिषदीय स्कूलों की वार्षिक परीक्षाएं सिर पर हैं लेकिन विभाग परीक्षाओं की तैयारी के बजाए लंबित सेवारत प्रशिक्षण कार्यक्रमों को ही पूरा करने में जुटा है। प्रशिक्षण में शिक्षकों के व्यस्त रहने के कारण स्कूली बच्चों की परीक्षा पूर्व की तैयारी प्रभावित हुई है। परिषदीय स्कूलों में 16 मार्च से 21 मार्च के मध्य वार्षिक परीक्षाएं आयोजित होंगी। इस बार वार्षिक परीक्षाओं की अवधि ढाई घंटे होगी। प्रश्नपत्रों में अति लघु उत्तरीय, बहुविकल्पीय, लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न सम्मिलित होंगे।

कक्षा एक की परीक्षा मौखिक एवं कक्षा दो से पांच तक की परीक्षाएं मौखिक एवं लिखित होंगी जबकि कक्षा छह से आठ में लिखित परीक्षाएं आयोजित होंगी। वार्षिक परीक्षा 50 अंकों की होगी। दो पालियों में होने वाली गृह परीक्षाओं की प्रथम पाली सुबह 9.15 से 11.45 एवं द्वितीय पाली दोपहर 12.15 से 2.45 तक आयोजित होगी। कक्षा एक से चार एवं कक्षा छह व सात की उत्तरपुस्तिकाएं विद्यालय स्तर पर कक्षा पांच की संकुल केन्द्र में अन्य विद्यालयों के शिक्षकों द्वारा तथा कक्षा 8 की उत्तपुस्तिकाएं बीआरसी में जांची जाएंगी, किसी भी छात्र की कक्षोन्नति नहीं रोकी जाएगी।
सूत्रों के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग ने पिछले वर्ष से शिक्षकों के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए थे। इनमें से कई कार्यक्रम अभी भी अधूरे हैं। परीक्षाएं नजदीक आने के बावजूद विभाग ने शिक्षकों को इन कार्यक्रमों को पूरा करने का निर्देश दिया है। इस वजह से शिक्षकों को स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के बजाय प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए जाना पड़ रहा है। इसका सीधा असर छात्रों की परीक्षा पूर्व तैयारी पर पड़ रहा है।
छात्रों की चिंता-
छात्रों का कहना है कि परीक्षाएं नजदीक आ रही हैं लेकिन शिक्षकों ने अभी तक उन्हें पूरी तरह से तैयार नहीं किया है। वे परीक्षा को लेकर चिंतित हैं।
शिक्षकों की मजबूरी-
शिक्षकों का कहना है कि वे भी चाहते हैं कि वे बच्चों को पढ़ाएं और उनकी परीक्षा पूर्व तैयारी करवाएं लेकिन विभाग के निर्देशों का पालन करना उनकी मजबूरी है।
विभाग का पक्ष-
बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि शिक्षकों का प्रशिक्षण भी महत्वपूर्ण है। विभाग का प्रयास है कि परीक्षाएं भी समय से हों और शिक्षकों का प्रशिक्षण भी पूरा हो जाए।
क्या है समाधान-
विभाग को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और शिक्षकों को परीक्षाओं की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। विभाग शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बाद के लिए भी रख सकता है।

anas quraishi
Author: anas quraishi

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