सीएसजेएमयू में विभिन्न सुर, लय और ताल के बीच संगीत थिरैपी पर एफडीपी संपन्न

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में आयोजित संगीत थिरैपी पर एफडीपी के अंतिम दिन शुक्रवार को पंडित बिरजू महाराज से लेकर तमाम संगीत विभूतियों के बारे में चर्चा की गई।

कानपुर,अमन यात्रा। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में आयोजित संगीत थिरैपी पर एफडीपी के अंतिम दिन शुक्रवार को पंडित बिरजू महाराज से लेकर तमाम संगीत विभूतियों के बारे में चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि संगीत चिकित्सा ऐसे समय में कारण्गर साबित होती है, जब सभी पैथी इलाज के लिए निष्प्रयोज्य हो जाती है। सभी वक्ताओं ने संगीत थिरैपी के बारे में अपने-अपने मत प्रस्तुत किये।
प्रो. लावण्या कीर्ति सिंह ने संगीत की दादरा शैली और ग़ज़ल गायिकी को सौम्य संगीत के रूप में संगीत चिकित्सा का आधार माना। उन्होंने कहा कि नृत्य तमाम शारीरिक विकारों को ठीक करता है। गायन से गले संबंधी विकार ठीक हो जाते हैं। पेड़ पौधों भी संगीत के प्रभाव से आंनदित होते हैं। भोजपुरी गीत-संगीत के महत्व को बताते हुए झीनी झीनी आँचला के पार गोरिया-लोकगीत को गाकर उन्होंने लोकगीतों का चिकित्सा के रूप में प्रयोग बताया। लोकगीतों में आधुनिकता पर चर्चा करते हुए रैना बीती जाये गीत को गाकर उसके महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि संगीत केवल मनोरंजन का साधन ही बल्कि आजीविका का साधन भी बन गया। सुबोध ने देश की गंगा यमुना संस्कृति को जिस देश में गंगा बहती है गीत के माध्यम से बखूबी प्रस्तुत किया। देवाशीष ने संगीत को सर्वव्यापी बताया। डॉ वन्दना ने कहा कि पंडित बिरजू महाराज ने कण कण में नृत्य की बात करते थे। गोपाल तुलस्यान ने संगीत चिकित्सा का जिक्र करते हुए कहा कि संगीत विषम परिस्थितियों में चिकित्सा के रूप में कारगर सिद्ध हुई है। तिरंगा अगरबत्ती के प्रमुख नरेन्द्र शर्मा ने कहा कि संगीत हमारे जीवन का अभिन्न अंग है एवं संगीत मानवीय संवेदनाओं को बनाये रखता है। अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. संजय स्वर्णकार ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि सुर, लय एवं ताल ही संगीत है।
फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. ऋचा मिश्रा ने बताया कि कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक की प्रेरणा से इस एफ.डी.पी. का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि संगीत कला विषय में रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं। प्रतिभागियों ने प्रश्न-उत्तर सत्र में दीप्ति ने मानसिक बीमार बच्चों के राग, डॉ द्रोपती यादव ने आधुनिक परिवेश में वृद्धावस्था में संगीत, अनामिका तिवारी ने संगीत के बिना प्रभाव, डॉ. मीनाक्षी गुप्ता ने संगीत चिकित्सा का शरीर पर प्रभाव, डॉ. ममता सागर संगीत चिकित्सा घर में संभव, डॉ. निशा शर्मा ने श्रावण विकार में संगीत चिकित्सा, डॉ. धरम सिंह ने मानसिक रोगियों में संगीत चिकित्सा, अमित सिंह ने नृत्य में चिकित्सा संभव, डॉ. रश्मि गौतम ने बच्चों में संगीत की उपयोगिता के विकास से सम्बन्धित प्रश्न किए जिसका जवाब प्रो. लावण्या कीर्ति सिंह ने दिया। कार्यक्रम में डॉ. रागिनी स्वर्णकार, शुभम वर्मा, डॉ द्रोपती यादव, डॉ सिधांशू राय, डॉ राजेन्द्रन, डॉ सचिव गौतम, डॉ ममता सागर, डॉ निशा शर्मा, डॉ स्वस्ति, डॉ मीनाक्षी, डॉ बृजेश कटियार, डॉ. अमित सिंह, डा. आलोक पांडेय, दीप्ति, निशांत कुमार सिंह आदि शामिल रहे।
Author: aman yatra

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