सुविधाएं बढ़ी फिर भी सरकारी स्कूलों में घट रही है छात्रों की संख्या
परिषदीय स्कूलों को आसपास के बड़े स्कूलों में मर्ज करने की भारत सरकार तैयारी कर रही है। इनको मर्ज कैसे किया जाएगा, इस पर भारत सरकार पायलट प्रोजेक्ट कंसल्टेशन ऑफ स्कूल के तहत अध्ययन कराएगा।

- कम नामांकन वाले स्कूल होंगे बंद नजदीक के स्कूलों में स्थानांतरित किए जाएंगे बच्चे
लखनऊ / कानपुर देहात। परिषदीय स्कूलों को आसपास के बड़े स्कूलों में मर्ज करने की भारत सरकार तैयारी कर रही है। इनको मर्ज कैसे किया जाएगा, इस पर भारत सरकार पायलट प्रोजेक्ट कंसल्टेशन ऑफ स्कूल के तहत अध्ययन कराएगा। उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के चार बेसिक स्कूलों को चिन्हित किया गया है। जहां पर भारत सरकार की टीम अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करेगी। उसके बाद प्रोजेक्ट को पूरे देश में लागू किया जाएगा। इस संबंध में बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारत सरकार के अफसरों ने जिले के अफसरों को निर्देशित किया गया है। शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि भारत सरकार कंसल्टेशन ऑफ स्कूल नाम से पायलट प्रोजेक्ट के तहत बेसिक स्कूलों को बड़े स्कूलों में मर्ज करने की तैयारी चल रही है।
अध्ययन के लिए जिले के चयनित स्कूलों में 16 से 18 बच्चों का नामांकन है। स्कूलों के आसपास कक्षा एक से 12 तक के सरकारी स्कूलों को देखा जाएगा। छोटे स्कूलों को इन बड़ों स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। अध्ययन में नए स्कूल तक बच्चों के जाने की व्यवस्था और उनका नामांकन, साथ ही ऐसे होने पर किस-किस तरह की समस्या आएंगी। इन सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। तीन माह के अंदर अध्ययन पूरा हो जाएगा। अफसरों ने बताया कि नए शिक्षा नीति और शिक्षा का अधिकार अधिनियम को आसान बनाने के मकसद से प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। विलय होने से बेसिक स्कूलों पर हो रहा खर्च भी कम होगा।
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट में हर प्रदेश से एक जिला चुना गया है। उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर को चुना गया हैं। भारत सरकार की टीम यहां आकर स्कूलों को मर्ज करने की स्टडी करेगी। विभाग सहयोगी के तौर पर काम करेगा। तीन माह में स्टडी रिपोर्ट पूरी की जाएगी। उसके बाद इस प्रोजेक्ट को देश भर में लागू किया जाएगा।
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