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सुहेलदेव के बहाने यूपी में राजभर वोटरों को सेट करने में जुटे PM मोदी और CM योगी

राजभर वोटरों की संख्या बस 3 प्रतिशत है. लेकिन पूर्वांचल में क़रीब 49 विधानसभा सीटों पर इनका दबदबा है. बीजेपी की रणनीति अपनी लकीर बड़ी करने की है, जिससे ओम प्रकाश राजभर की लाईन अपने आप छोटी हो जाए.

कुछ ऐसे चेहरे और नाम होते हैं जिनसे उस समाज, जाति, बिरादरी और धर्म के लोगों का नेचुरल जुड़ाव होता है, कनेक्शन होता है. ऐसे प्रतीक उस समाज के मान सम्मान माने जाते हैं. प्रतीकों की राजनीति में आज की बीजेपी का कोई जोड़ नहीं है. पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में पार्टी सरदार पटेल, बाबा साहेब अंबेडकर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अपना बनाने में जुटी है. यूपी में पार्टी ने सुहेलदेव राजभर को अपना बताने और दिखाने का अभियान छेड़ दिया है. राजा सुहेलदेव को राजभर समाज का महापुरुष माना और जाना जाता है. यूपी में राजभर पिछड़ी जाति कैटेगरी में आते हैं. वैसे तो राजभर वोटरों की संख्या बस 3 प्रतिशत है. लेकिन पूर्वांचल में क़रीब 49 विधानसभा सीटों पर इनका दबदबा है. ये किसी को जिता सकते हैं तो किसी को हरा भी सकते हैं. यानी जीत हार का फ़ैसला राजभर वोटर करते हैं.

सुहेलदेव समाज पार्टी के 4 विधायक चुने गए थे

पिछले विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर की पार्टी और बीजेपी का गठबंधन था. सुहेलदेव समाज पार्टी के 4 विधायक चुने गए थे. ओम प्रकाश को योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया. लेकिन सत्ता में साझेदारी को लेकर बीजेपी और ओम प्रकाश में ठन गई. उन दिनों अमित शाह बीजेपी के अध्यक्ष हुआ करते थे. उन्होंने भी बीच बचाव करने की कोशिश की. लेकिन बात नहीं बनी. ओम प्रकाश राजभर एनडीए से अलग हो गए.

इस बार जिस धूम धाम से राजनैतिक पार्टियों ने यूपी में सुहेलदेव जयंती मनायी, वैसा कभी नहीं हुआ था. पीएम मोदी ने सुहेलदेव स्मारक का शिलान्यास किया. वे वीडियो कान्फ्रेंस से दिल्ली से इस कार्यक्रम से जुड़े. यूपी में बीजेपी ने तो हर ज़िले में जयंती मनाई. सुहेलदेव की विरासत का दावा करने वाले ओम प्रकाश राजभर और उनकी पार्टी ने प्रदेश भर में जयंती मनाई. समाजवादी पार्टी भी भला कहां पीछे रहने वाली. पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आज सुहेलदेव को याद किया.

अगले साल की शुरूआत में यूपी में विधानसभा का चुनाव

पूरा मामला वोटों का है. वोट से ही सत्ता मिलती है. सत्ता के कई समीकरण होते हैं. इन समीकरणों को अपने हिसाब से बनाने और बिगाड़ने का हुनर मोदी को खूब आता है. अगले साल की शुरूआत में यूपी में विधानसभा का चुनाव है. उसी यूपी से मोदी भी वाराणसी से चुनकर संसद पहुंचते रहे हैं. इसीलिए सवाल मोदी और योगी की प्रतिष्ठा का भी है. बीजेपी की रणनीति अपनी लकीर बड़ी करने की है. जिससे ओम प्रकाश राजभर की लाईन अपने आप छोटी हो जाए. ये काम आसान तो नहीं लेकिन बड़ा मुश्किल भी नहीं है. 2014 के आम चुनाव से ही ग़ैर यादव पिछड़ी जातियों ने बीजेपी का साथ दिया है. लेकिन इस बार ख़तरा राजभर वोट को लेकर है. ओम प्रकाश राजभर के अलग हो जाने के बाद से ही बीजेपी का होमवर्क चालू है. पार्टी ने अनिल राजभर को योगी सरकार में मंत्री बनाया है. वहीं सकलदीप राजभर को राज्य सभा का सांसद बनाया है. बीएसपी ने पिछले ही साल मुनकाद अली को हटाकर भीम राजभर को बीएसपी का यूपी अध्यक्ष बना दिया है. एक दौर था जब राजभर समाज के लोग बीएसपी को वोट किया करते थे. लेकिन अब वो बात नहीं रही.

Author: aman yatra

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