कानपुर देहात। सूचना का अधिकार अधिनियम (राइट टू इंफॉर्मेशन एक्ट) भारतीय संसद द्वारा साल 2005 में पारित किया गया था। इसमें भारत के हर नागरिक को सरकारी संगठनों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया गया। इस कानून के अंतर्गत, जनता को सरकारी दफ्तरों, विभागों, मंत्रालयों, और सरकारी संगठनों से सूचना प्राप्त करने का अधिकार होता है। शासन के निर्देशों के क्रम में जानकारी देते हुए अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमित कुमार ने बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य लोगों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना और वास्तविक अर्थों में हमारे लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना है। इस कानून में सूचना की परिभाषा बहुत व्यापक है और इसमें सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा बनाई गई सभी जानकारी शामिल होती है। सूचना में कागजात, डेटा, विद्यापीठों की जानकारी, नोटिस, आदेश, ईमेल, रिपोर्ट, लेख, निर्णय, प्रकाशन आदि शामिल हो सकते हैं। भारत का रहने वाला कोई नागरिक सूचना प्राप्त करना चाहता है, तो वह उस संगठन के नजदीकी जन सूचना अधिकारी को लिखित/आनलाइन आवेदन द्वारा अपनी याचिका भेज सकता है। आवेदन में संगठन के नाम, जिला, विभाग, और संदर्भित जानकारी का विवरण शामिल होना चाहिए। साथ ही, आवेदनकर्ता को अपना नाम, पता, आवासीय स्थान, और संपर्क की जानकारी देनी होगी।
सरकारी संगठन को सूचना देने के लिए निर्धारित समय सीमा होती है। आमतौर पर, संगठन के पास आवेदक की याचिका का जवाब देने के लिए 30 दिनों का समय होता है। अगर मांगी गई सूचना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो ऐसी सूचना को 48 घंटे के अंदर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है। यदि इस समय सीमा में आवेदक को संगठन की ओर से कोई जवाब नहीं मिलता है, तो उसे अपील करने का अधिकार होता है।यदि संगठन द्वारा दी गई सूचना से आवेदक संतुष्ट नहीं है, तो उसके पास अपील करने का अधिकार होता है। इसके लिए, आवेदक को संगठन के उच्चतम अधिकारी के पास अपील करनी होगी। अपील करने के लिए आवेदक को उच्चतम अधिकारी के प्रति लिखित अपील दर्ज करनी होगी। इस अपील में आवेदक को अपने पहले के आवेदन के बारे में जानकारी देनी होगी। सरकारी संगठनों को सूचना प्रदान करने का दायित्व होता है। वे सूचना के लिए उपलब्ध होने के साथ-साथ आवेदनकर्ता को सही, पूर्ण और समयबद्ध जवाब देने के लिए जिम्मेदार होते हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सरकारी संगठनों को पारदर्शिता बनाए रखने का दायित्व होता है। वे खुले और सार्वभौमिक ढंग से सूचना प्रदान करने के लिए प्रयास करते हैं ताकि नागरिकों को सरकारी कार्यों और निर्णयों के बारे में सही और विश्वसनीय जानकारी मिल सके।
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