नई दिल्ली,अमन यात्रा : केंद्र सरकार सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नया कानून लाने पर विचार कर रही है। इस कानून से इन कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म पर पब्लिश होने वाले सभी कंटेंट के प्रति जवाबदेह होना पड़ेगा। सरकार पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया पर लगातार नकेल कस रही है। उसने इसी साल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए नए साइबर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) नियम भी लागू किए हैं।
नए IT नियमों को कई कंपनियों ने कोर्ट में चुनौती दी है। कई याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित हैं। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष नए IT नियमों का बचाव करते हुए कहा है कि ये नियम प्रेस की स्वतंत्रता का दुरुपयोग रोकने और डिजिटल मीडिया में फर्जी खबरों से नागरिकों की रक्षा करेंगे।
यूरोपीय मॉडल पर आधारित हो सकता है नया कानून
एक सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि दुनिया भर में ऐसे कई कानून हैं जो सोशल मीडिया के काम करने के तरीके को नियंत्रित करते हैं। नए नियम में अभी काफी अनिश्चितता है। यह एक अलग अधिनियम हो सकता है या एक संशोधन के तौर पर इसे पेश किया जा सकता है। सरकार नए कानून को तैयार करने के लिए यूरोपीय मॉडल पर विचार कर रही है, जिसमें दिसंबर 2020 में यूरोपीय आयोग द्वारा पेश डिजिटल सेवा अधिनियम भी शामिल है। गाइडलाइन पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पर डिपेंड करेगी।
नए आईटी नियमों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सतर्क
देश में फरवरी में लागू किए गए नए नियमों में दिशा-निर्देशों के साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नए शिकायत निवारण अधिकारियों को नियुक्त करने और हर महीने एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी करने की बात कही गई है। नए IT नियम सोशल मीडिया कंपनियों को ऐसे यूजर्स से प्रोटेक्ट कर रहे हैं, जो गलत पोस्ट डालते हैं। डिजिटल सर्विस एक्ट (DSA) सोशल मीडिया यूजर्स के लिए अतिरिक्त अधिकारों की व्याख्या करता है। जैसे उन्हें गैर कानूनी कंटेंट की रिपोर्ट करने की अनुमति मिलेगी।
अमेरिका में सोशल मीडिया को लेकर सख्त कानून
अमेरिका में फेसबुक जैसी कंपनियों पर भी वही नियम लागू हैं जो बाकी कंपनियों पर हैं। हालांकि कम्युनिकेशन को लेकर फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन के नियम सभी माध्यमों पर लागू हैं। इसके अलावा वहां द कैलिफोर्निया कंज्यूमर प्राइवेसी एक्ट (CCPA) जैसे राज्यों के कानून भी हैं, जो यूजर डेटा कलेक्शन और उनके इस्तेमाल को रेगुलेट करते हैं। हालांकि अमेरिका में ब्रॉड लेवल पर सोशल मीडिया अभी भी सेल्फ रेगुलेशन के आधार पर संचालित हो रही है, लेकिन अदालतों में शिकायतों के दौरान इन कंपनियों की जवाबदेही तय होती है। इसलिए सेल्फ रेगुलेशन के नियम वहां काफी सख्ती से लागू भी होते हैं।
भारत सरकार 2019 से ही नियमों पर काम कर रही है
जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) 2019 से ही इस मसौदे को देख रही है। JPC की रिपोर्ट में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पब्लिशर्स के रूप में मानने और पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में प्रस्तावित संशोधनों की धारा 35 में न्यायसंगत, निष्पक्ष, उचित और आनुपातिक की शर्त को वापस जोड़ने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित बदलावों को पब्लिक ओपिनियन के लिए रखा जाएगा।
सोशल प्लेटफॉर्म पर यूजर्स की संतुष्टि जरूरी
सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर साथी NGO के फाउंडर एनएस नप्पिनई के अनुसार, सोशल मीडिया को लेकर नया कानून महत्वपूर्ण हो सकता है। नए नियम का विचार बुरा नहीं है। सोशल मीडिया के बॉक्स पर हम विभिन्न प्रकार के बिचौलियों को क्लब नहीं कर सकते। इस प्लेटफॉर्म पर सभी तरह के मुद्दों को लेकर यूजर्स की संतुष्टि जरूरी है।
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