उत्तरप्रदेश

स्वच्छ गंगा मिशन को पलीता लगाने वाले लापरवाह अफ़सरों पर नहीं हुई कार्रवाई, यूपी सरकार से HC नाराज़

कोर्ट ने कहा है कि अधिकारियों की जवाबदेही तय किया जाना हमेशा के लिए उचित कदम है. ऐसे में लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति न देने का उचित कारण नहीं है.

कोर्ट ने कहा है कि अधिकारियों की जवाबदेही तय किया जाना हमेशा के लिए उचित कदम है. ऐसे में लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति न देने का उचित कारण नहीं है.

नालों का गंदा पानी बिना शोधित सीधे गंगा मे जा रहा- कोर्ट

इससे पहले कोर्ट ने यूपी जल निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिलाधिकारी कानपुर नगर के परस्पर विरोधाभाषी हलफनामे दाखिल करने पर नाराजगी प्रकट की थी और प्रबंध निदेशक जल निगम, सदस्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिलाधिकारी को बेहतर हलफनामे के साथ तलब किया था. कोर्ट ने कहा था कि नालों का गंदा पानी बिना शोधित सीधे गंगा मे जा रहा है. ऐसी ही स्थिति रही तो कोर्ट अधिकारियों के वेतन रोकने पर विचार करेगी.

कोर्ट के निर्देश पर अधिकारी पेश हुए. बोर्ड ने हलफनामा दाखिल किया. अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने जल निगम की तरफ से हलफनामा दाखिल करने के लिए दो दिन का समय मांगा. इस पर याचिका सुनवाई के लिए 21 जनवरी को पेश करने का निर्देश दिया गया है.

कोर्ट ने कहा कि कानपुर में 175 चर्म उद्योग चालू हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एस टी पी की शोधन क्षमता जब तक न बढे तब तक नयी टेनरी न खोली जाय. याची अधिवक्ता उदय नंदन व वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नंदन का दावा है कि कानपुर नगर में 400 टेनरी (चर्म उद्योग) चल रहे हैं. जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि 271 टेनरी ही चालू है. कोर्ट ने कहा कि इसके सत्यापन की जरूरत है. इसलिए टेक्नोक्रेट व वकीलों की निगरानी टीम बनाकर मानीटरिंग कराया जाना चाहिए.

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

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