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हर साल ऐसे ही होती है तैयारी, ध्वस्त हो जाती है व्यवस्था

सूबे के परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों को शिक्षासत्र बीतने के बाद भी यूनीफॉर्म, जूता-मोजा और स्कूल बैग के लिए रुपये नहीं मिले हैं। विभागीय अधिकारी शैक्षिक वर्ष 2023-24 के बच्चों को भूल गए हैं। अब नए शिक्षासत्र 2024-25 में प्रवेश लेने वाले बच्चों के खाते में धनराशि भेजने के लिए डाटा मांगा गया है

Story Highlights
  • पुराने को भूल गए अफसर, नए बच्चों का मांगा गया डाटा
  • बीत गया शिक्षासत्र, लाखों बच्चों को नहीं मिल सका डीबीटी के जरिए यूनिफॉर्म का पैसा

कानपुर देहात। सूबे के परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों को शिक्षासत्र बीतने के बाद भी यूनीफॉर्म, जूता-मोजा और स्कूल बैग के लिए रुपये नहीं मिले हैं। विभागीय अधिकारी शैक्षिक वर्ष 2023-24 के बच्चों को भूल गए हैं। अब नए शिक्षासत्र 2024-25 में प्रवेश लेने वाले बच्चों के खाते में धनराशि भेजने के लिए डाटा मांगा गया है। शैक्षिक वर्ष 2023-24 में सूबे के प्राइमरी, मिडिल, मदरसा, सहायता प्राप्त और राजकीय स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक में पढ़ने वाले बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के तहत यूनिफॉर्म, स्वेटर, स्कूल बैग और जूता-मोजा स्कूलों में वितरित किया जाता था।

पूरे प्रदेश में नामांकित बच्चों का डाटा भेजकर 1200-1200 सौ रुपये भेजने थे। इसमें कई बच्चों के अभिभावकों के खाता नंबर और आधार नंबर में अंतर आने के कारण भुगतान नहीं किया जा रहा है। इधर बेसिक शिक्षा विभाग के शीर्ष अफसरों ने विभाग को पत्र जारी कर नए सत्र में दाखिला लेने वाले बच्चों का डाटा 20 मई तक मुहैया कराने को कहा है।पिछले सत्र में पूरे प्रदेश में लाखों बच्चों के खाते में अभी तक धनराशि नहीं आई है। आश्चर्य की बात यह है कि विभागीय अफसरों द्वारा एक अप्रैल से नई कक्षाओं में दाखिला लेने वाले बच्चों का डाटा मांगा जा रहा है।

हर साल ऐसे ही होती है तैयारी, ध्वस्त हो जाती है व्यवस्था-
बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर हर साल कुछ ऐसा ही करते हैं। तैयारी तो वह मई से ही करना प्रारंभ कर देते हैं मगर ठंडी प्रारंभ होने पर भी बच्चों को धनराशि मुहैया कराने में फेल हो जाते हैं। कुछ ऐसा ही इस वर्ष भी देखने को मिल रहा है फिलहाल अब देखना है कि इन बच्चों के खाते में धनराशि कब आती है।

anas quraishi
Author: anas quraishi

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