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हाथरस गैंग रेप में पीड़िता की मौत के बाद आनन-फानन में उसके अंतिम संस्कार पर काफी सवाल उठ रहे हैं. शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में यूपी सरकार पर जमकर हमला बोला.
मुंबई: हाथरस में दलित युवती की बर्बर सामूहिक बलात्कार के बाद मौत हो गई. इसके बाद जिस तरह आधी रात को पुलिस ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया इसकी भी काफी आलोचना हो रही है. शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कहा, ‘आज केवल एक बिटिया की हड्डी नही बल्कि इंसानियत की टूटी है, नाकाम प्रशासन और शासन की हड्डी टूटी है और यही सच्चाई है.’
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हाथरस मामले के प्रति यूपी सरकार और सिस्टम की गंभीरता कितनी है ये साफ देखा जा सकता है. ये वहीं राजनीतिक पार्टी है जहां कुलदीप सिंह सिंगर जैसे लोगो को पार्टी में रखा जाता है और संरक्षण प्रदान किया जाता है. सरकार के मन मे ही नहीं है कि बेटियों को इंसाफ मिले.
शिवसेना सांसद ने कहा कि रेप के मामले में पुलिस धाराएं भी ऐसे लगाती है जिनमें अपराधियों को संरक्षण मिल रहा हो. शिवसेना नेता ने कहा कि यूपी सरकार महिलाओं को सुरक्षित माहौल नहीं दे पाई है. अक्सर तो उत्तर प्रदेश पुलिस मामले को गलत बताकर केस ही दर्ज नहीं करती है. रातों रात परिवार की गैरमौजूदगी में उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. इससे ये साफ दिखाई दे रहा है कि सरकार का ना तो बेटियों की सुरक्षा पर ध्यान है और ना ही सम्मान.
उन्होंने कहा कि आज एनसीआरबी की रिपोर्ट दर्शाती है कि बीते सालों में महिलाओ के खिलाफ अत्याचार के मामले अगर कहीं बढ़े हैं तो वो यूपी में हैं. योगी सरकार द्वारा महिलाओ को लेकर किये गए सभी वादे आज खोखले साबित हुए हैं. 2017 में भाजपा ने यूपी में महिला सुरक्षा को लेकर ही एक बड़ी मुहिम चलाई थी.
एन्टी रोमियो स्क्वाड बनाकर 100 दिन में महिलाओ के खिलाफ यूपी में होने वाले मामलों पर रोक लगाने की बात कही गई थी. मेरा सवाल है कि उत्तर प्रदेश की महिला और बालविकास मंत्री और सांसद चुप क्यों हैं. दलित नेता मंत्री रामदास आठवले आज क्यों चुप हैं. आठवले आज सभी महिलाओं के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन इस विषय पर क्यों मौन हैं. उनके कानों तक ये खबर नही पहुंची अब तक?
प्नियंका चतुर्वेदी ने कहा कि निर्भया मामले में कितने साल लग गए तब जाकर निर्भया को इंसाफ मिला. हाथरस मामले को ही देख लीजिए आरोपियों के खिलाफ पुलिस एक हफ्ते बाद मामला दर्ज करती है. देश के आंकड़े ही यूपी की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है. यह मामला तो मीडिया के वजह से सामने आया वरना तो ऐसा लाखों- करोड़ों केस है जो सामने ही नही आ रहे हैं. सरकार में किसी तरह की गंभीरता नहीं है. क्या यूपी सरकार महिलाओ को सुरक्षित माहौल दे पाई है अब तक? क्या उन्हें सुरक्षा दे पाई है अब तक?
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