एक महिला को बलात्कार और हत्या की 70000 से ज्यादा धमकियां मिल चुकी है । देश में जगह जगह उपद्रव हो रहा है किसलिए कि एक महिला ने पैगंबर मोहम्मद पर बयान दिया।
यह गलत है और इस पर पार्टी ने कार्यवाही की है और मामला अदालत में है। और सजा भी अदालत ही सुनिश्चित करेगी ना कि भीड़ ,भीड़ के हिसाब से तो सबके सामने सर कलम करना या फिर पत्थरों से मार मारकर उसे सजा देनी चाहिए । वास्तव में हम नए भारत में है ? एक महिला हमेशा से ही हमारी संस्कृति में पूजनीय रही है और वर्तमान देश में माहौल तालिबान जैसा हो रहा है , ऐसी मानसिकता वाले लोग भारत में कतई बर्दाश्त के काबिल नहीं हैं। पत्थरबाज किस पर पत्थर बाजी कर रहे है उन जवानों पर जो हमेशा उनकी सुरक्षा को लेकर तत्पर रहते है वो आते कहां से है समाज से ही ना हमारे बीच से ही ना तो आप भाईचारा की बात करते है और ऊपर से उपद्रव , दंगे, थानों में आग लगा देना और गाड़ी फूंक देना। एक धर्म में इतनी सहिष्णुता नहीं है कि एक महिला को क्षमा प्रदान कर सके , बल्कि उसकी सजा तो सर कलम करना है। वाह ! हेट स्पीच हर व्यक्ति और समुदायों की तरफ़ से होती है एक पक्षीय नहीं पर उसकी सजा संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए आईपीसी की धाराओं से होगा या फिर बंदूक और तलवार से जिस बयान के लिए देश में इतना उपद्रव मचाया जा रहा है वैसे बयान उसी समुदाय के ना जाने कितने लोग दे चुके है और उसका वर्णन उसी समुदाय के लोग किताबों में कर चुके है पर वास्तविक समस्या यह नही।
लोगो को पढ़ना नहीं है , बस मोबाइल में आए एक मैसेज और ट्वीट देखना है जो एयर कंडीशन में बैठे व्यक्ति अपनी बुद्धि जीविता दिखाने के लिए करते है ,को देखना है और चले जाना है ,…………..उन्हें वास्तविकता का ज्ञान ही नहीं है ।
समस्या यह है कि देश में शांति नहीं होनी चाहिए हमे मौका चाहिए और मौका मिला एक दक्षिणपंथी पार्टी की प्रवक्ता द्वारा दिया गया बयान , जो क्या सच में देश में आग लगाने लायक है। हमारे कथित बुद्धजीवी वर्ग के लोग चुप्पी साधकर इस हिंसा को समर्थन दे रहे है । हिंसा के बाद जब कारवाई की जाएगी तो मानवता को ढोंग करने के लिए भी तो उन्हे आना है क्योंकि दंगे को नियंत्रण करने वाले उनके लिए मानव नहीं होते परंतु दंगे करने वाले उनके लिए महामानव होते है। वाह जी क्या बात है, क्या यह हिंसा अगर दूसरे वर्ग द्वारा की जाती तो उनका मत भी स्पष्ट होता जो होता की देश में असुरक्षा की भावना बढ़ गई है ,बोलने की स्वतंत्रता खत्म हो गई है ,देश का लोकतंत्र खतरे में है । हमको चाहिए आजादी , आजादी भाई आजादी ।
खाड़ी देशों से और कोई उम्मीद भी नहीं की जा सकती , भारत में दिया गया एक बयान उनके लिए वैश्विक समस्या है और आतंकवाद से पीड़ित भारत , वह उनके लिए भारत की गृह समस्या है ना कि वैश्विक , इतना फरेब आता कहा से है ।अभी छोटे से बयान के लिए पूरा देश सुलग लग रहा है कल को सरकार समान नागरिक संहिता लाएगी तो दंगे शुरू हो जाएंगे , और यह स्पष्ट होगा कि ये दंगे भी सुनियोजित होंगे। सभी जानते है कि समान नागरिक संहिता की आवश्यकता है परंतु कथित बुद्धजीवियों के लिए तो यह लोकतंत्र को खत्म करने वाला होगा । प्रशासन की कारवाई में अभी कुछ वामपंथी मानवतावादियो का आना बाकी है क्योंकि उन्हें भी तो ट्रेंड में रहना है। अभी चुप्पी साध लेते है चाहे आग लगे बस्ती में !
हिमांशु मिश्र,कानपुर