अवकाश तालिका में राष्ट्रीय पर्वों एवं जयंतियों को न दर्शाया जाए
शिक्षक संगठनों ने बेसिक शिक्षा परिषद के समक्ष अवकाश सूची को लेकर अपनी बात रखी है। शासन द्वारा आगामी वर्ष के लिए सार्वजनिक एवं निर्बन्धित अवकाश की सूची दिसंबर माह में जारी की जाती है। सचिव के समक्ष तर्क दिया है कि जब राष्ट्रीय पर्वों और महापुरुषों की जयंतियों में विद्यालय खोले जाते हैं तो उन्हे परिषद द्वारा जारी अवकाश सूची में शामिल क्यों किया जाता है।

- अवकाश तालिका में वास्तविक अवकाश को ही दर्शाया जाए
- छुट्टियों को लेकर लोग शिक्षकों पर कसते हैं तंज
- जानकारी के अभाव में विद्यालय खुलने वाले दिनों को भी लोग समझते हैं अवकाश
कानपुर देहात,अमन यात्रा : शिक्षक संगठनों ने बेसिक शिक्षा परिषद के समक्ष अवकाश सूची को लेकर अपनी बात रखी है। शासन द्वारा आगामी वर्ष के लिए सार्वजनिक एवं निर्बन्धित अवकाश की सूची दिसंबर माह में जारी की जाती है। सचिव के समक्ष तर्क दिया है कि जब राष्ट्रीय पर्वों और महापुरुषों की जयंतियों में विद्यालय खोले जाते हैं तो उन्हे परिषद द्वारा जारी अवकाश सूची में शामिल क्यों किया जाता है। शिक्षक संगठनों ने कहा कि इस पर गंभीरता से विचार किया जाए तथा इन दिवसों को सूची में शामिल न किया जाए क्योंकि ऐसा करने से अन्य विभाग के लोग शिक्षकों पर यह तंज कसते हैं कि शिक्षकों को सबसे अधिक छुट्टियां मिलती हैं जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अधिकांश छुट्टियों वाले दिन कहीं पोलियो दिवस होता है तो कहीं महापुरुषों की जयंती होती हैं तो कहीं राष्ट्रीय पर्व, इतना ही नहीं रविवार के दिन बीएलओ जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी शिक्षकों द्वारा किए जाते हैं। शिक्षकों की भी यही मांग है कि जितनी वास्तविक छुट्टियां शिक्षकों को मिलती हैं उतनी ही अवकाश तालिका में दर्ज की जाए।
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स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती के अलावा अन्य महापुरुषों की जयंतियों में परिषदीय स्कूल खोलकर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर इन्हें धूमधाम से मनाया जाता है। शासन ने भी कुछ महापुरूषों की जयंतियों में घोषित होने वाले अवकाशों को समाप्त कर विद्यालयों में उल्लासपूर्वक मनाने के निर्देश दिए हैं। शासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद ने भी स्कूलों में महापुरुषों के जन्म दिवसों को उत्साहपूर्वक मनाने के निर्देश जारी किए हैं। अब पेंच यहीं फंसता नजर आ रहा है। संगठनों का मानना है कि जब राष्ट्रीय त्योहारों व महापुरुषों की जयंतियों में परिषदीय स्कूल खोले जाते हैं और समारोहों का आयोजन धूमधाम से किया जाता है तो फिर इन दिवसों को अवकाश में क्यों शामिल किया गया है। इन विशेष दिवसों को शामिल करने से अवकाश के दिनों की संख्या तो बढ़ी हुई दिखती है लेकिन वास्तविक में ऐसा नहीं होता है। संगठनों ने मांग की है कि विशेष दिवसों को अवकाश सूची से बाहर किया जाए।
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परिषद के सदस्य भी हों आमंत्रित- संगठनों की मांग है कि अवकाश तालिका बनाते समय परिषद के सदस्यों/शिक्षकों को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए। जयंतियों को अवकाश सूची में स्थान देने की बजाए अलग से निर्देश दिए जाएं।
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