कानपुर, अमन यात्रा । कोरोना से जंग में मास्क ही सबसे बड़ा हथियार है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, कोरोना के चाहे जितने नए वैरिएंट आ जाएं, मास्क के सही इस्तेमाल से इसका प्रसार रोका जा सकता है। चौंकाने वाली बात यह है कि मास्क लगाना ही बचाव के लिए काफी नहीं है बल्कि उसका सही ढंग से इस्तमाल करने से ही ओमिक्रोन जैसे वैरिएंट से बचा जा सकता है। यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ साइंसेज के निदेशक डा. प्रवीण कटियार भी कहते हैं कि ओमिक्रोन से बचाव में सर्जिकल के ऊपर कपड़े का मास्क दोहरी सुरक्षा प्रदान करता है। अकेला सर्जिकल मास्क बचाव में कारगर नहीं होता है। इसके अलावा एन-95 या श्वासा मास्क लगाना ही काफी नहीं बल्कि उसका इस्तेमाल का सही तरीका भी जानना जरूरी है तभी पूरी तरह से बचाव संभव हो सकता है।
दोहरी सुरक्षा है जरूरी : बेहद संक्रामक ओमिक्रोन से बचाव में सिंगल लेयर कपड़े का मास्क कारगर नहीं है। इसके लिए दो या तीन लेयर वाले फेस मास्क उपयुक्त हैं।एन-95 मास्क भी बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है क्योंकि इसमें फाइबर का घना नेटवर्क होता है। यह हवा में मौजूद 95 प्रतिशत तक कणों को फिल्टर कर देता है।
मास्क की प्रभावशीलता
कपड़े का मास्क : बाजारों में मौजूद कपड़े के मास्क अपनी डिजाइन के कारण संक्रमण से बचाव में प्रभावहीन साबित हो रहे हैं। कपड़े का मास्क अच्छा विकल्प होता है लेकिन इसके रेशे वायरस को नहीं रोक पाते।
सर्जिकल मास्क : सर्जिकल मास्क वायरस को रोकने में उपयुक्त होते हैं। हालांकि, इनका उपयोग एक ही बार करना चाहिए। यह 60 प्रतिशत तक सांस में मौजूद कणों को फिल्टर कर देता है, लेकिन यह सही तरह से चेहरे को ढंक नहीं पाता। इसके चलते यह संक्रमण से बचाव में पूर्ण उपयोग नहीं साबित होता।
सबसे उपयुक्त एन-95 मास्क : एन-95 मास्क को सबसे उपयुक्त माना जाता है। इनकी डिजाइन और रेस्पिरेटर क्षमता संक्रमण से बचाव में कारगर साबित होती है। यह मास्क पहनने वाले और उसके आस-पास के लोगों के लिए सुरक्षित होता है।
मास्क लगाने पर रखें ध्यान : अक्सर देखने में आया है कि मास्क तो लोग लगाते हैं लेकिन इसके बावजूद संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। इसके पीछे वजह सिर्फ एक है कि मास्क का प्रयोग का तरीका गलत होता है। इसलिए मास्क लगाने पर नीचे दी गई बातों को अमल में जरूर लाएं..।
–मास्क को मुंह और नाक के ऊपर ही लगाएं, बात करते समय उसे नीचे गले या ऊपर सिर की तरफ कतई न खिसकाएं। इससे यदि वायरस के कण सिर के बाल या गले पर होंगे तो वह उसमें चिपक जाएंगे और फिर दोबारा उसे लगाने से वायरस मुंह से प्रवेश कर जाएगा।
–कुछ लोग चेहरे से कई बार मास्क उतार लेते हैं और फिर उन्हीं हाथों से अंदर और बाहर दोनों तरफ पकड़ते हैं, ऐसा कतई न करें। क्योंकि यदि हाथों में वायरस होगा तो जब दोबारा मास्क लगाएंगे तब संक्रमण मुंह के रास्ते प्रवेश कर सकता है। मास्क उतारने से पहले हाथ जरूर सैनिटाइज कर लें। इसके साथ ही जब मास्क उतारें तो उसके अंदर वाला हिस्सा कतई न छुएं और सावधानी से उसे फोल्ड करके रख लें। फोल्ड करते समय ध्यान रहे कि मास्क के अंदर वाला हिस्सा आपस चिपका रहे और बाहरी आवरण के संपर्क में न हो।
–बाजार में कपड़े से बने कई मास्क हैं, जिनका इस्तेमाल करते समय अक्सर लोग बाहरी और अंदर वाले हिस्से को समझ नहीं पाते हैं और दोनों तरफ से मास्क पहनते रहते हैं। इससे मास्क की उपयोगिता ही नहीं रहती है। क्योंकि बाहरी हिस्से में वायरस होने की आशंका रहती है, जब मास्क को बिना समझे उलटा यानि बाहरी हिस्सा अंदर और अंदरुनी हिस्सा बाहर की तरफ से पहन लेते हैं तो वायरस का मुंह से प्रवेश करने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में जब भी पहली बार मास्क पहने तो अंदर और बाहरी आवरण की अच्छी तरह पहचान कर लें या कोई निशान चिह्न्त कर लें। मास्क उतारने के बाद जब भी दोबारा पहनें तो अंदर वाला हिस्से मुंह के संपर्क में रहे बाहरी हिस्सा बाहर की तरफ रहे।
–कपड़े के मास्क को रोजाना सैनिटाइज अथवा एक या दो दिन के अंतराल में धुलते रहें। वहीं अन्य पांच लेयर वाले मास्क को उतारने के बाद स्प्रे से सैनिटाइज करें और करीब पांच से दस दिन के अंदर उसे फेंककर दूसरा इस्तेमाल करें।
–मास्क हटाकर हाथों से नाक या मुंह को न तो साफ करें और न ही मास्क से ढके हिस्से पर हाथ से स्पर्श करें। इससे हाथों में लगा वायरस मुंह तक पहुंचकर प्रवेश कर सकता है।
इन बातों का भी रखें ध्यान
– दूसरों से हाथ मिलने से बचें।
– साफ-सफाई का ध्यान रखें।
– भीड़भाड़ में जाने से बचें।
– बाहर से घर आने पर अपने हाथ अच्छी तरह साफ करें।
– खांसी और छींक आने पर मुंह को रुमाल से ढक लें।