कानपुर, अमन यात्रा । कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। संक्रमितों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन संक्रमण के बाद हल्के लक्षण ही उभर रहे हैं। अब दो से 14 वर्ष तक के बच्चे कोरोना के निशाने पर हैं। उनमें भी संक्रमण के लक्षण देखे जा रहे हैं। सर्दी-जुकाम, बुखार और गले में खराश के साथ बच्चे इलाज के लिए जीएसवीएम मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग की ओपीडी व इमरजेंसी में आ रहे हैं। बड़ी संख्या में निजी अस्पतालों और डाक्टरों के क्लीनिकों में भी पहुंच रहे हैं। सर्दी जुकाम और बुखार पीडि़त बच्चों की संख्या 25 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। डाक्टरों का सुझाव है कि बच्चों को सर्दी-जुकाम और बुखार होने पर सतर्क हो जाएं। अगर पांच दिन में आराम न मिले तो तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं
डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रोन तेजी से संक्रमण फैलाता है, लेकिन घातक नहीं है। कोरोना का संक्रमण इस समय तेजी से फैल रहा है। वैक्सीन लगवाने वाले और न लगवाने वाले दोनों चपेट में आ रहे हैं। 14 वर्ष तक के बच्चों को किसी प्रकार का सुरक्षा कवच नहीं मिला है, इसलिए अब बच्चे भी चपेट में आने लगे हैं। प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होने से सर्दी-जुकाम व बुखार वाले लक्षण मिल रहे हैं। उनमें से दो से तीन प्रतिशत को सांस लेने में दिक्कत और पसली चलने की शिकायत हो रही है। उन्हें भर्ती करना पड़ रहा है।
सांस लेने में घरघराहट की आवाज : मौसम बदलने पर बच्चों में सामान्य फ्लू जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। इसलिए जांच कम कराई जा रही है। कई बच्चे सर्दी-जुकाम व खांसी के साथ सांस लेने में घरघराहट के साथ आ रहे हैं। डाक्टरों का कहना है कि इस बार कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से में संक्रमण कर रहा है, जिससे ऐसा हो रहा है।
सांस की नलिकाएं पतली होने से दिक्कत : बच्चों की श्वांस की नलिकाएं छोटी व पतली होती हैं। जब श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से में कोरोना का संक्रमण होता है तो नली में सूजन आ जाती है, जिसे उन्हें सांस फूलने या पसली चलने की समस्या होती है। बेचैनी व ठीक से नींद न आने पर तत्काल अस्पताल लेकर जाएं।
फ्लू ओपीडी में 24 घंटे डाक्टर : एलएलआर अस्पताल की फ्लू ओपीडी में बाल रोग विभाग के जूनियर रेजीडेंट 24 घंटे रहते हैं। सुबह से शाम तक बाल रोग विभाग के वरिष्ठ डाक्टर भी रहते हैं। इसलिए बच्चे को किसी प्रकार की दिक्कत होने पर तत्काल लेकर जाएं।
–बाल रोग विभाग की ओपीडी में सर्दी-जुकाम और बुखार के पीडि़त बच्चों की संख्या बढ़ गई है। ऐसे लक्षण वाले बच्चे पहले की अपेक्षा 25 प्रतिशत तक बढ़े हैं। उन्हें संक्रमण तो हो रहा है, लेकिन दो-तीन प्रतिशत को ही भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। सांस की तकलीफ होने पर नेबुलाइज करना पड़ता है। कोरोना संक्रमित दो बच्चे भर्ती हुए, उन्हें तीन दिन में ही डिस्चार्ज कर दिया गया। -प्रो. यशवंत राव, विभागाध्यक्ष, बाल रोग जीएसवीएम
इन बातों का रखें ध्यान
– बच्चों को बेवजह बाहर लेकर घूमने न जाएं।
– भीड़भाड़ वाली जगह में उन्हें लेकर जाने से बचें।
– कुछ भी खाने से पहले उनके हाथ अच्छी तरह धुलाएं।
– उनमें मास्क पहनने की आदत डालें।
– अपने मन से दवा खरीद कर बच्चे को न खिलाएं।
– बिना डाक्टर की सलाह पर बच्चे को एंटीबायोटिक न दें।