साहित्य जगतकविता

“अलविदा स्वर साम्राज्ञी लताजी”

अमन यात्रा

28 सितंबर 1929 को जन्मी स्वर कोकिला।
जिनके सानिध्य में संगीत का आनंद सबको मिला॥
आपकी आवाज ने दी थी स्वर को ऊँची उड़ान।
आपके गाने तो दिलाते सिनेमाजगत को नई पहचान॥
स्वर साम्राज्ञी का पूरा जीवन उपलब्धियों से जगमगाया।
भारत सरकार से उन्होने भारत रत्न का सम्मान भी पाया॥
स्वर कोकिला की आवाज का बजता है दुनिया में डंका।
आपकी आवाज दृश्य को जीवंत बनाती, नहीं है कोई शंका॥
आपकी गायकी गुनगुनाने पर करती है विवश।
आपके जैसी गायिका तो जन्म लेती है भाग्यवश॥
अस्वस्थता के कारण 6 फरवरी 2022 को हुई ईश में लीन।
स्वर कोकिला को सुनकर सब हो जाते थे तल्लीन॥
आपका जाना है संगीत जगत में अपूरणीय क्षति।
आपने तो दी थी स्वर को ऊंचाइयों की गति॥
भीगी आँखों से देते भावपूर्ण श्रद्धांजलि हम।
आपके जाने का रहेगा सदैव सबको गम॥
सरस्वती का मिला था आपको तो साक्षात आशीर्वाद।
आपके स्वर से महसूस हुआ संगीत का अनूठा स्वाद॥
आपकी आवाज तो लाती थी जीवन में नवीन बसंत।
डॉ. रीना कहती, आप सदैव रहेंगी हमारे दिलों में जीवंत।
                                                    डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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