गोरखपुर,अमन यात्रा l इलेक्ट्रिक बस के इंतजार में खड़े यात्रियों को आने वाले दिनों में काफी सहूलियत मिल जाएगी। यात्री फोन कर जान सकेंगे कि उनके स्टाप पर इलेक्ट्रिक बस कितनी देर में पहुंचेगी। इलेक्ट्रिक बस पहुंचने में देर की स्थिति में यात्री दूसरे साधनों से भी अपने गंतव्य रवाना हो सकेंगे। इसके लिए नगर निगम इलेक्ट्रिक बसों को इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आइटीएमएस) के कंट्रोल रूम से जोडऩे जा रहा है। कंट्रोल रूम के नंबर पर फोन कर संबंधित रूट की इलेक्ट्रिक बस के बारे में जानकारी ली जा सकेगी।
शीघ्र आएंगी दस और बसें
महानगर में 14 इलेक्ट्रिक बसें संचालित हो रही हैं। एक बस को रिजर्व रखा गया है। इन बसों के लिए तीन रूट निर्धारित किया गया है। आने वाले दिनों में 10 और बसें आनी हैं। इन बसों के आने के बाद एक बार फिर रूट निर्धारण का काम होगा। बस लगातार चलने के बाद कई बार जाम ज्यादा होने की स्थिति में लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। बस के बारे में कोई जानकारी न होने से लोग परेशान रहते हैं। इसे देखते हुए नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने कंट्रोल रूम से जानकारी लेने की व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं।
जीपीएस से भी रखेंगे नजर
इलेक्ट्रिक बसों में जीपीएस लगाकर उनके लोकेशन पर नजर रखी जाएगी। इसके लिए नगर निगम में एलईडी स्क्रीन लगाई जाएगी। इलेक्ट्रिक बस के ज्यादा देर एक ही जगह खड़े होने या रूट के अलावा कहीं और जाने पर चालक को फोन कर कारण पूछा जाएगा।
महिला चालक गईं छुट्टी पर
इलेक्ट्रिक बस चलाने वाली महिला चालक पूजा प्रजापति छुट्टी पर चली गई हैं। पूजा ने चालक की जगह सुपरवाइजर या कार्यालय का काम दिलाने के लिए कार्यदायी संस्था पीएमआइ से अनुरोध किया है। पूजा का कहना है कि दो हजार किलोमीटर से ज्यादा बस चला चुकी हूं, कितने दिन बस चलाऊंगी। बस चलाने में कोई ब्रेक भी नहीं मिलता है। दो मिनट के लिए रुकने पर यात्री शोर मचाने लगते हैं। यदि सुपरवाइजर बना दिया जाए या कार्यालय में काम दिया तो कर सकूंगी। महेसरा स्थित इलेक्ट्रिक बस डिपो के मैनेजर केके मिश्र ने बताया कि कुछ दिनों से पूजा आ नहीं रही हैं। उन्होंने फोन कर दोपहर से ड्यूटी लगाने को कहा। रात 10 बजे तक महिला चालक से बस नहीं चलवाया जा सकता। उनसे सुबह ड्यूटी करने को कहा गया तो उन्होंने मना कर दिया।
इलेक्ट्रिक बस के चालकों को देनी होगी परीक्षा
इलेक्ट्रिक बस के चालकों को एक बार फिर ड्राइविंग टेस्ट से गुजरना पड़ेगा। ड्राइविंग टेस्ट में फेल होने वाले चालकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। कानपुर में इलेक्ट्रिक बस से हुए हादसे में छह लोगों की मौत के बाद चालकों की कुशलता पर सवाल उठ रहे हैं। इसके साथ ही चालकों के नशे में होने की जांच की कोई व्यवस्था न होने का भी मामला उठाया गया था। नगर निगम के प्रवर्तन बल को चालकों की जांच और बस की व्यवस्था देखने की जिम्मेदारी दी गई है। प्रवर्तन बल की टीम औचक निरीक्षण कर जांच कर भी रही है। नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने चालकों का टेस्ट कराने का निर्णय लिया है।
कानपुर में फेल हुए 35 में चार चालक
कानपुर में ड्राइविंग टेस्ट में 35 में से चार चालक फेल हो गए हैं। इन चालकों को बस से हटा दिया गया है। इन्हें अब एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद फिर टेस्ट लिया जाएगा। यदि यह दोबारा टेस्ट में फेल हो जाएंगे तो सेवा से हटा दिया जाएगा। गोरखपुर में भी इसी तरह टेस्ट होगा।
14 बसें संचालित हो रही हैं
महेसरा स्थित इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग स्टेशन के डिपो मैनेजर केके मिश्र ने बताया कि 15 में से 14 बसें संचालित हो रही हैं। एक बस पर दो चालकों की ड्यूटी लगाई गई है। कुल 28 चालक काम कर रहे हैं। इन्हें आठ घंटे का 12 हजार 500 रुपये का भुगतान किया जाता है। कहा कि एक बस रिजर्व में रखी गई है। कहा कि ठंड कम होने के साथ ही इलेक्ट्रिक बसों से कमाई बढ़ रही है। कमाई में रोजाना इजाफा का लक्ष्य रखा गया है। यात्रियों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है।