प्रयागराज

भाजपा की राजनीति का दायरा विस्तृत है, विशाल है, सर्व समावेशी है : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में गुरुवार को चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा और बीजेपी की जीत का दावा किया. पीएम ने विपक्ष का नाम लिए बिना जमकर निशाना साधा और कहा कि, "मुझे किसी ने बताया कि 5वें या 6वें चरण के मतदान खत्म होंगे, उसके बाद यह ईवीएम को गाली देना शुरू करेंगे.

प्रयागराज ,अमन यात्रा :  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में गुरुवार को चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा और बीजेपी की जीत का दावा किया. पीएम ने विपक्ष का नाम लिए बिना जमकर निशाना साधा और कहा कि, “मुझे किसी ने बताया कि 5वें या 6वें चरण के मतदान खत्म होंगे, उसके बाद यह ईवीएम को गाली देना शुरू करेंगे. लेकिन इस बार इन्होंने चौथे चरण में ही ईवीएम को गाली देना शुरू कर दिया. जब यह ईवीएम को गाली देना शुरू करें तब समझ लें कि इनका खेल खत्म.”

मोदी ने बिना नाम लिए अखिलेश पर हमला बोला और कहा, “घोर परिवारवादियों ने इतने दशकों तक संप्रदायवाद की, जातिवाद की, क्षेत्रवाद की राजनीति की. इनकी राजनीति का दायरा संकुचित है, सीमित है, संकीर्ण है. भाजपा की राजनीति का दायरा विस्तृत है, विशाल है, सर्व समावेशी है. पहले की सरकारों में विकास के काम न होने की एक और बहुत बड़ी वजह थी- जातिवाद और भाई-भतीजावाद. परियोजना बनने से लेकर पास होने तक और उसके काम शुरू होने से पहले ठेकेदारी तक में भाई-भतीजावाद. कुंभ जैसे पवित्र काम में भी ये गोरख धंधे इन्होंने किये.”

पीएम ने कहा, “योगी की सरकार में आपके सहयोग से संपन्न हुए कुंभ के दिव्य और भव्य आयोजन को दुनिया ने सराहा है. यूनेस्को ने हमारी इस कुंभ की परंपरा को विश्व विरासत का दर्जा दिया है. पहले उत्तर प्रदेश में पीसीएस की परीक्षा का सिलेबस यूपीएससी से अलग होता था. हमारी सरकार ने आपकी ये परेशानी समझी और आज यूपी पीसीएस और यूपीएससी का सिलेबस एक जैसा कर दिया. अब उतनी ही मेहनत से आप दोनों परीक्षाएं दे सकते हैं.”

प्रधानमंत्री ने रोजगार को लेकर भी बड़ा बयान दिया. पीएम ने कहा, “ये लोग नौकरी के नाम पर फिर उत्तर प्रदेश के युवाओं को धोखा दे रहे हैं. सच्चाई ये है कि इन लोगों ने अपने 10 साल के शासन में सिर्फ 2 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी. वो भी भाई-भतीजावाद, जातिवाद, पैसों के बंडल के आधार पर. जबकि योगी सरकार ने 5 लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी दी. नौकरी के नाम पर पिछली सरकारों के आयोग में बैठे लोग किस योग्यता को जरूरी मानते थे? इनके लिए योग्यता की अहमियत नहीं, बल्कि सिफारिश, जातिवाद और नोटों के बंडल ही सब कुछ थे.”

Author: aman yatra

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