सोवियत संघ गणराज्य से पूर्व में अलग हुये एक क्षेत्र यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष की अति महत्वाकांक्षा ने यूक्रेन की जनता के साथ साथ अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को भी भयानक संकट में डाल दिया है !
इतिहास गवाह है कि जब जब किसी भी राष्ट्र के पारिवारिक विभाजन में किसी एक पक्ष ने अपनी अति महत्वाकांक्षा की पूर्ति करने के लिए अपने मूल राष्ट्र की विरोधी शक्तियों का सहारा लेकर अपना हित साधना चाहा हैै तब तब उस राष्ट्र का वह अति महत्वाकांक्षी कदम आत्मघाती कदम साबित होता रहा हैै, कुछ उसी तरह का कदम उठाकर यूक्रेन अपने मूल राष्ट्र रूश से विरोध करके यूरोपीय राष्ट्रों (NATO) से सन्धि करके रूस की सामरिक सीमा सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास कर रहा था, जिसका रूस अपने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए लगातार विरोध करता आ रहा था,
लेकिन यूक्रेन अपनी हठधर्मिता पर डटा रहा, जिसका दुष्परिणाम आज यूक्रेन की जनता और वहां की सेना तथा वहां रह रहे अन्तर्राष्ट्रीय अप्रवासी छात्रों तथा निवासियों को अपनी जान गवांकर चुकाना पड़ रहा है। यह यूक्रेन युद्ध भारत पाकिस्तान के मध्य चल रहे घटनाक्रम पर भी गम्भीर संदेश देता हैै, जिसमें वैसी ही समानता हैै जैसी रूस और यूक्रेन के बीच हैै, भारत पाकिस्तान भी पूर्व में एक ही गणराज्य के भू भाग हैं, लेकिन भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान सदैव अपनी अति महत्वाकांक्षा की पूर्ति चाइना के सहयोग से करना चाहता हैै, इसीलिए पाकिस्तान सदैव भारत की सामरिक सीमाओं को चाइना के साथ साझा करने का प्रयास करता हैै, जो भविष्य में आत्मघाती सिद्ध हो सकता हैै, जैसा यूक्रेन और रूस के बीच आपसी सीमा विस्तार के कारण इस युद्ध में बखूबी देखा सुना जा रहा हैै।
वर्तमान समय में यूक्रेन तथा रूस का युद्ध दिन प्रति दिन गम्भीर होता जा हैै, अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों की कोई सार्थक भूमिका अभी तक दिखाई नहीं दे रही हैै, सभी खामोशी से युद्ध की भयानक विभीषिका को देख व सुन रहे हैं, लेकिन युद्ध कैसे रूके मानवता की रक्षा कैसे हो इस विषय पर अभी तक किसी का कोई स्पष्ट विचार सामने नहीं आया हैै, संयुक्त राष्ट्र संघ, मानवाधिकार संगठन तथा छोटी छोटी बातों पर अपने विचार व्यक्त करने वाले विचारक सभी खामोश क्यों हैं क्या ये सभी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन व एक्टिविस्ट मात्र दिखावा भर हैं अथवा ये छोटे छोटे राष्ट्रों के आपसी आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप करके वहां के मुद्दों को सिर्फ उल्झाने का कार्य ही करते हैं ? वर्तमान यूक्रेन रूस युद्ध बेहद चिंताजनक स्थिति में पहुंचता जा रहा है, रूस द्वारा यूक्रेन के रिहाइशी शहरों और कस्बों में हवाई हमले करना तथा परमाणु अस्त्रों के प्रयोग की धमकी देना युद्ध की गम्भीरता को दर्शाता हैै, यूक्रेन की आम जनता की मौतों के साथ अप्रवासी नागरिकों तथा वहां अध्यन रत छात्रों की मौतों पर अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को बेहद गम्भीरता से विचार करते हुये इस युद्ध को रोकनें के गम्भीर प्रयास करने चाहिये !
आज भारतीय मूल के कर्नाटक प्रदेश निवासी मेडिकल छात्र नवीन खेरप्पा की हवाई हमले में मृत्यु का समाचार बेहद चिंतित करता है, भारत सरकार के द्वारा अब तक यूक्रेन से सीमित संख्या में छात्रों को वहां से निकाला जा सका है, जो बेहद चिंता का विषय हैै, भारत सरकार को अब अपने अन्तर्राष्ट्रीय सम्बंधों का प्रयोग करके वहां युद्ध क्षेत्र में फंसे भारतीय छात्रों को वहां से बाहर निकालकर वापस लाना चाहिये, अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों को अपनी क्षमताओं का उपयोग करके दोनों देशों के बीच चल रहे अति महत्वाकांक्षी युद्ध को हर दशा में रोकने के गम्भीर प्रयास करने चाहिये, जिससे विश्व समुदाय के बीच उनकी साख और उपयोगिता बनी रहे।
विद्यासागर त्रिपाठी, कानपुर देहात