मध्यप्रदेश

जयगुरुदेव नाम के बारे में चैलेंज करके बता दो, इस समय का है जागृत नाम, करेगा लोगों की जीवन रक्षा

जयगुरुदेव नाम प्रभु का है और संकट में मददगार है- इसका प्रचार करने वाले, संकट में मदद करने वाले, सर्वसमर्थ, सर्वव्यापी, सर्वत्र विराजमान, इस समय के पूरे त्रिकालदर्शी महापुरुष परम सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 7 मई 2022 सायंकाल को उज्जैन आश्रम से एनआरआई संगत को दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित लाइव ऑनलाइन संदेश में बताया कि जयगुरुदेव नाम से भाव-भक्ति के अनुसार फायदा सबको होगा इसलिए कहने में संकोच मत करो।

उज्जैन,अमन यात्रा  : जयगुरुदेव नाम प्रभु का है और संकट में मददगार है- इसका प्रचार करने वाले, संकट में मदद करने वाले, सर्वसमर्थ, सर्वव्यापी, सर्वत्र विराजमान, इस समय के पूरे त्रिकालदर्शी महापुरुष परम सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 7 मई 2022 सायंकाल को उज्जैन आश्रम से एनआरआई संगत को दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित लाइव ऑनलाइन संदेश में बताया कि जयगुरुदेव नाम से भाव-भक्ति के अनुसार फायदा सबको होगा इसलिए कहने में संकोच मत करो। चैलेंज कर दो जयगुरुदेव नाम का कि इस समय पर जागृत नाम है, जीता जागता चेतन नाम है। जड़ और चेतन आपको सतसंग में बताया गया।

जड़ वो जो एक से दूसरी जगह आ-जा न सके

जड़ के अंदर जो जीवात्मा है उसे सजा पाने के लिए डाल, खड़ा कर दिया गया है। वह अपने आप नहीं आ-जा सकता। चेतन में ताकत ज्यादा होती है। हम-आप, पशु-पक्षी चेतन है। एक से दूसरी जगह चले जाते हैं, दूसरों का भला भी कर देते हैं। गाय-भैंस दूध दे देती है। इस तरह से दूसरे के लिए भी कुछ कर सकते हैं।

वक्त के महापुरुष द्वारा जगाए नाम में चेतन्यता रहती है, पिछले नाम जड़ समान हो जाते हैं

तो यह जयगुरुदेव नाम चेतन नाम है। समय का नाम चेतन वाला होता है। जिसको महापुरुष जगाते हैं उसमें चेतन्यता रहती है, चेतन नाम रहता है। और जब दूसरा महापुरुष कोई आता है, कोई नया नाम जागता है तब पुराना नाम एक तरह से जड़ जैसा हो जाता है। तो यह जयगुरुदेव नाम अभी चेतन नाम है।

आदमी की आखरी सांस चल रही हो, उसके कान में जयगुरुदेव बोलो, ठीक होकर चलने लग जाय तब कर लेना विश्वास

आप चैलेंज कर सकते हो। कोई आदमी मर रहा हो, आखरी सांस ले रहा हो, उसकी आंखे, जुबान, कान काम नहीं कर रहे हो, होश में न हो, उसके कान में मुंह लगाकर जयगुरुदेव नाम को थोड़ी देर बोलते रहो तो आंख खोल देगा और अगर उसकी उम्र बाकी होगी तो उसको होश आ जाएगा, आंख-कान-मुंह से देखने-सुनने-बोलने लगेगा और उठ करके थोड़े समय बाद चलने लग जाएगा।

मरने वाला कभी नहीं बोलता झूठ, एक बार परीक्षा लेकर देख लो

जिसका इस दुनिया से जाने का समय हो गया, असर जयगुरुदेव नाम का उसके ऊपर भी पड़ेगा। एक-आधा मिनट के लिए आंख खोल देगा और आंख खोलने के बाद अगर आप उसको रटा दोगे कि बराबर बोलो जयगुरुदेव और अगर जयगुरुदेव जयगुरुदेव बोलने लग गया और पूछोगे कि तुमको कोई दिखाई पड़ा, तुमने कुछ देखा? तो बता देगा (कि उसे बचाने वाले सफेदपोश महात्मा कैसे दिखते हैं और कैसे यमराज के दूतों से, उनकी जबरदस्त असहनीय मार से रक्षा हुई)। जब वह बता दे तब आप विश्वास कर लेना।

जब डॉक्टर अस्पताल से निकाल दे, जवाब दे दे तब उसके कान में जयगुरुदेव नाम बोलो, होश आ जायगा तो मानना ही पड़ेगा

बता दो लोगों को, विश्वास कर ले क्योंकि मरते समय सब निराश हो जाते हैं। अच्छे-अच्छे डॉक्टर, वैज्ञानिक, ज्योतिष सब खड़े रह जाते हैं, किसी का कुछ (जोर) नहीं चलता। बेहोशी की हालत में जब अस्पताल से निकाल दे, डॉक्टर कह दे कि ले जाओ, अब इनकी सेवा करो, अब इनका अंग काम नहीं कर रहा है और ऐसे समय में जब उसके कान में बोलोगे तो उसको चेतन्यता आ जाएगी, होश आ जाएगा तो सब लोग को मानना ही पड़ेगा।

नाचो तो घूंघट नहीं, अगर लोगों की जान बचाना है तो जयगुरुदेव नाम के बारे में बताने में न करो संकोच

जब प्रचार करना है, लोगों को बताना है, दूसरे के हित के लिए काम करना है तब आपको बोलने में संकोच नहीं होना चाहिए। इसलिए बराबर जयगुरुदेव नाम के बारे में लोगों को बताते ही रहो। और अगर वो जयगुरुदेव और जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोलने लगेगा, जयगुरुदेव नाम बोल कर के घर से निकलेगा, जयगुरुदेव नाम 2-4-10 बार दिन भर में बोलने लगेगा, खाली नाम ध्वनि न भी बोलकर जयगुरुदेव 10-20 बार बोलकर भी सोएगा तो वह क्या महसूस करेगा? यह तो जब आप कुछ समय बाद दोबारा मिलोगे या फोन करोगे तब वो खुद आपको बताएगा।

 जितने भी जीव हैं, किसी भी देश जाति धर्म के मानने वाले हो, एक भी न फंसे, इनको नर्कों-चौरासी में न काटना पड़े चक्कर

इसलिए कहना ठीक नहीं है, करवा करके दिखा देना ठीक है। तो प्रेमियों करके दिखा दो, अनुभव करा दो। बराबर प्रयास करते रहो कि जितने भी जीव है एक भी न फंसे। यह मनुष्य शरीर जो पाए हैं, किसी भी जाति, धर्म, देश के रहने वाले हो, यह फंसे नहीं और अपने घर वतन मालिक के पास इसी जन्म में पहुंच जाएं। इनको फिर नरकों, चौरासी में चक्कर न काटना पड़े।

Author: aman yatra

aman yatra

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