प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा, नई शिक्षा नीति का प्रमुख अंग : डा. नेहा मिश्रा
प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा नई शिक्षा नीति 2020 की प्रमुख विशेषता है। आंगनबाड़ी केंद्रों और प्री प्राइमरी विद्यालयों के माध्यम से 3-6 वर्ष की आयु से ही बच्चों के मानसिक, संवेगात्मक और सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए।

पुखरायां। प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा नई शिक्षा नीति 2020 की प्रमुख विशेषता है। आंगनबाड़ी केंद्रों और प्री प्राइमरी विद्यालयों के माध्यम से 3-6 वर्ष की आयु से ही बच्चों के मानसिक, संवेगात्मक और सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए। पुरानी शिक्षा नीति हमें बताती थी कि हमें क्या करना है जबकि नई शिक्षा नीति हमें कैसे करना है यह सिखाती है। यह विचार जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पुखरायां में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में मूलभूत साक्षरता, संख्यात्मकता एवं बचपन देखभाल विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित राजकीय डिग्री कॉलेज कन्नौज में शिक्षाशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ नेहा मिश्रा ने रखे।
प्रवक्ता डायट डॉ प्राची शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में आ रही चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि किसी भी अच्छी नीति को लागू करने के लिए अच्छी नीयत की जरूरत होती है। एसआरजी संत कुमार दीक्षित ने नई शिक्षा नीति की के अनुसार बच्चों के विकास के क्रम में भाषा और गणित सीखने की आवश्यकता और चुनौतियों पर बल दिया। एसआरजी अनंत त्रिवेदी ने प्रदेश सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति के तहत निर्धारित विद्या प्रवेश पाठ्यक्रम, विद्यालय तैयारी कार्यक्रम, बाल वाटिका, एवं चहक की संकल्पना पर विचार रखे। एसआरजी अजय कुमार गुप्ता ने नई शिक्षा नीति के तहत लाए गए मूलभूत भाषा और संख्या ज्ञान को निपुण भारत मिशन के साथ जोड़ा।
कार्यशाला के बाद डायट प्रवक्ता डॉ जगदंबा प्रसाद त्रिपाठी द्वारा समस्त विकास खण्ड में जारी निपुण विद्यालयों के आकलन की समीक्षा की। इस दौरान एआरपी अजय प्रताप सिंह, दिनेश बाबू, जितेंद्र राजपूत, सूर्य प्रताप, नौशाद अहमद, अनूप अवस्थी, अजीत कटियार, गौरव सिंह गौर, अरुण कुमार दीक्षित, मोहम्मद शमी आदि उपस्थित रहे।
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