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भगवान का भक्त गरीब तो हो सकता है परंतु दरिद्र कभी नहीं : कथावाचक

पुखरायां कस्बे के संत सुआ बाबा मंदिर परिसर में पुरुषोत्तम मास के पावन अवसर पर आयोजक मंडल द्वारा बीते गुरुवार से आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिवस में बुधवार को चित्रकूट धाम से आए आचार्य पंडित विमलेश त्रिवेदी जी महाराज ने श्रोताओं को सुदामा चरित्र की कथा सुनाई।

पुखरायां। पुखरायां कस्बे के संत सुआ बाबा मंदिर परिसर में पुरुषोत्तम मास के पावन अवसर पर आयोजक मंडल द्वारा बीते गुरुवार से आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिवस में बुधवार को चित्रकूट धाम से आए आचार्य पंडित विमलेश त्रिवेदी जी महाराज ने श्रोताओं को सुदामा चरित्र की कथा सुनाई।जिसे सुनकर श्रोता भावविभोर हो गए।कस्बे के सुआ बाबा मंदिर परिसर में बुधवार को सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए आचार्य पंडित विमलेश त्रिवेदी जी महाराज ने कहा कि हम लोग कहते हैं कि सुदामा जी दरिद्र थे परंतु ऐसा कहना एक बहुत बड़ा अपराध है।भगवान के भक्त का अपमान है।क्योंकि भगवान का भक्त गरीब तो हो सकता है परंतु दरिद्र कभी नहीं।गरीबी और दरिद्रता में अंतर है।गरीब वह होता है जिसके पास धन नहीं है और दरिद्र वह होता है जिसके पास है तो बहुत कुछ परंतु उसे संतोष नहीं है।

 

अतः असंतोषी मनुष्य को ही दरिद्र कहा गया है।सुदामा गरीब थे।उनकी पत्नी का नाम शुशीला था।जो महान पवित्रता थी।पवित्रता की पहचान है कि खाने के लिए अन्न न हो और पहनने के लिए वस्त्र न हों फिर भी पत्नी अपने पति से सच्चा प्रेम करती हो।वही है सच्ची पवित्रता।एक दिन सुशीला ने सुदामा जी से द्वारिकाधीश कृष्ण के पास जाने की प्रार्थना की।तब सुदामा जी ने सुशीला से कहा कि वह द्वारिकाधीश कृष्ण के पास कुछ मांगने नहीं जायेंगे।क्योंकि द्वारिकाधीस कृष्ण अंतर्यामी हैं सब जानते हैं कि हम किस परिस्थिति में रह रहे हैं।और भगवान जिस परिस्थिति में रखें तो मनुष्य को उसी परिस्थिति में संतुष्ट रहना चाहिए।

 

सुदामा जी चार मुट्ठी चावल लेकर द्वारिकाधीष से मिलने पहुंचे।इधर भगवान श्रीकृष्ण सुदामा जी को अपने ह्रदय से लगाते हैं।और अपने रत्नजटित सिंघासन पर बिठाकर सुदामा जी के चरण धोकर चरणामृत पान करते हैं।कथा को सुनकर श्रोता भावविभोर हो गए।गुरुवार को कथा के समापन के अवसर पर हवन पूजन के पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया जायेगा।इस मौके पर माया ओमर, रेखा ओमर, एकता, विनी, पूनम,कामिनी,स्वाती, पुष्पा सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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