परिषदीय स्कूलों के मास्टर को क्लर्क बनाने का चल रहा है महाभियान
शिक्षक का पद समाज में सम्मान का पद होता है। शिक्षक शिक्षा की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। वह बच्चों को शिक्षा देने के साथ आदर्श, नैतिकता, मानवता के गुण विकसित करते हैं लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने वर्तमान में शिक्षक को क्लर्क बनाने का अभियान चला रखा है।

- शिक्षक को शिक्षक नहीं जनाब क्लर्क कहिए
कानपुर देहात,अमन यात्रा : शिक्षक का पद समाज में सम्मान का पद होता है। शिक्षक शिक्षा की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। वह बच्चों को शिक्षा देने के साथ आदर्श, नैतिकता, मानवता के गुण विकसित करते हैं लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने वर्तमान में शिक्षक को क्लर्क बनाने का अभियान चला रखा है। आज स्थिति यह है कि परिषदीय शिक्षक से पढ़ाई कम कराई जा रही है उससे पढ़ाई से ईतर ज्यादा कार्य लिए जा रहे हैं। जनगणना में शिक्षकों की डयूटी लगाई जाती है। पल्स पोलियो अभियान को कामयाब बनाने घरों से बच्चे बूथ तक बुलाने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी जाती है।
वोटर लिस्ट बनाने, उनके संशोधन और प्रदर्शन और चुनाव में शिक्षकों की डयूटी लगाई जाती है। एक शिक्षक ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पिछले डेढ़ साल से डीबीटी के काम में उलझे हुए हैं। इसमें प्रत्येक छात्र की सूचनांए संकलित करनी होती हैं ।इसके लिए छात्र के अभिभावकों के आधार नंबर तथा अकाउंट नंबर से आधार और मोबाइल का लिंक होना जरूरी है। गांव के लोग त्रुटिपूर्ण आधार बनवाए हुए हैं। इनके करेक्शन के लिए अभिभावकों को बैंक या बीआरसी कार्यालय भेजना शिक्षक के काम में शामिल हो गया है।अभिभावक प्रायः अपनी दिहाड़ी छोड़कर नहीं जाते। अभिभावकों के आधार कार्ड ठीक कराने के लिए शिक्षकों पर दबाव बनाया जाता है। अक्सर शिक्षक जैसे तैसे मनाकर अपनी जेब से किराया खर्च करके उन्हें आधार कार्ड ठीक कराने भेजते हैं।
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विद्यालय की पुताई कराना, पाठ्य पुस्तकें बीआरसी से या न्याय पंचायत केंद्र से उठाकर लाना उनकी डयूटी में शामिल हो गया है। रोजाना तरह−तरह की सूचनाएं विभाग द्वारा मांगी जाती हैं वह तैयार करके भेजनी होती हैं। सड़क सुरक्षा सप्ताह हो या संचारी रोग पखवाड़ा, जल संरक्षण हो या भूमि संरक्षण, टीवी के मरीज को गोली लेना हो या कितने अभिभावकों ने कोविड-19 की वैक्सीन लगवाई, यह डाटा पता करना सब शिक्षक के जिम्मे है। बच्चों को लंबे समय से आयरन और अल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जा रही हैं फिर भी गोली खिलाने के लिए एक दिन का प्रशिक्षण उन्हें बदस्तूर हर साल दिया जाता है। अब टीचर क्या−क्या करे ?
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होना यह चाहिए कि गैर शैक्षणिक कार्य के लिए संविदा पर एक व्यक्ति रखें। उनसे ये कार्य लिये जाए। इससे बहुत से बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा, उधर शिक्षक सब चीजों से मुक्त होकर बच्चों को पढ़ाने के कार्य में लगेंगे। इससे इन विद्यालयों में शिक्षा का माहौल बेहतर बन सकेगा।जब तक बेसिक शिक्षा में उच्च पद पर बैठे अधिकारी सही स्थिति नहीं समझेंगे, एसी में बैठकर बेतुके आदेश जारी करते रहेंगे हालात में सुधार होने वाला नही है।
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