बेसिक शिक्षा विभाग में हजारों फर्जी शिक्षक कर रहे नौकरी, लेकिन विभाग की पकड़ से हैं दूर
बेसिक शिक्षा विभाग में हजारों फर्जी शिक्षक काम कर रहे हैं। इन शिक्षकों में कुछ ने दूसरे के सर्टिफिकेट्स लगाकर नौकरी हथियाई है तो कुछ के शैक्षिक प्रमाणपत्र फर्जी हैं तो कुछ का टेट प्रमाण पत्र फर्जी है।

कानपुर देहात,अमन यात्रा : बेसिक शिक्षा विभाग में हजारों फर्जी शिक्षक काम कर रहे हैं। इन शिक्षकों में कुछ ने दूसरे के सर्टिफिकेट्स लगाकर नौकरी हथियाई है तो कुछ के शैक्षिक प्रमाणपत्र फर्जी हैं तो कुछ का टेट प्रमाण पत्र फर्जी है। कईयों ने तो विकलांग सर्टिफिकेट फर्जी लगा रखे हैं और कईयों ने जाति प्रमाणपत्र फर्जी लगाकर नौकरी हतियाई है। कई ऐसे शिक्षक भी हैं जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार का होने का सर्टिफिकेट लगा रखा है। इस तरह से इन फर्जी शिक्षकों ने सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगाया है और लगा भी रहे हैं। फर्जी शिक्षकों के गिरोह का शिक्षा विभाग में बेसिक से लेकर माध्यमिक तक जाल फैला हुआ है। जाली दस्तावेजों से नौकरी पाने या प्रयास किए जाने के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं।
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राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में तो आयोग से नियुक्ति शुरू होने के बाद फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सख्ती भी बड़े पैमाने पर की गई है। इसके बावजूद फर्जीवाड़ा करने वाला गिरोह सेंधमारी करने से बाज नहीं आ रहा। शिक्षक विद्यालयों में कार्यभार तक ग्रहण कर ले रहे हैं। वैसे सबसे ज्यादा फर्जीवाड़े की शिकायतें बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों से आती हैं। हालिया उदाहरण लें तो एसटीएफ ने कुछ समय पहले प्रदेश के विभिन्न जिलों में फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी करने वाले 228 शिक्षकों की पहचान की थी। इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे।
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सभी जिलों में एफआईआर कराने की प्रक्रिया अभी कुछ दिन पहले तक जारी रही है। ढिलाई होने पर एसटीएफ ने पत्र तक लिखा था। इसी तरह कुछ समय पहले औरैया के पूर्व बीएसए फर्जी अभिलेखों के आधार पर प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक पदों पर नियम विरुद्ध चयन किए जाने के आरोपी हैं। प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने के बाद उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही की जा रही है। उधर माध्यमिक शिक्षा में बात करें तो बीते कुछ वर्ष पहले राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया के तहत बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के फर्जी दस्तावेज पकड़े गए थे। लखनऊ समेत प्रदेश के अधिकांश मंडलों में ऐसे फर्जी दस्तावेज लगाने वालों पर एफआईआर कराई गई थी। इधर झांसी में एक साथ पांच शिक्षकों के कार्यभार ग्रहण करने का मामला बहुत दिन बाद पकड़ा गया है। ऐसा जाने कितने अनगिनत मामले हैं जोकि अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से पकड़ में नहीं आ रहे हैं। फर्जी शिक्षकों के चयन में अधिकारियों का महत्वपूर्ण रोल रहता है।
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