पीएफआरडीए एक्ट में संशोधन के बगैर एनपीएस ट्रस्ट से राज्यों को जमा धन मिलना मुश्किल
पुरानी पेंशन योजना केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव का एक बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। पुरानी पेंशन लागू करने वाले राज्यों में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब प्रमुख हैं। हिमाचल प्रदेश भी इसे लागू करने जा रहा है।

- सिर्फ कर्मचारी को ही एनपीएस का पैसा पाने का हक, राज्य या केंद्र सरकार नहीं कर सकती दावा
लखनऊ / कानपुर देहात। पुरानी पेंशन योजना केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव का एक बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। पुरानी पेंशन लागू करने वाले राज्यों में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब प्रमुख हैं। हिमाचल प्रदेश भी इसे लागू करने जा रहा है। इस बीच पुरानी पेंशन योजना की राह भी आसान नहीं दिख रही है। इसके बावजूद राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड ने पुरानी पेंशन योजना लागू कर कर्मचारियों के खाते से पीएफ नियमों के तहत कटौती भी शुरू कर दी है लेकिन असल समस्या इसके बाद शुरू हुई, जब इन राज्यों ने अपने कर्मचारियों और सरकार की ओर से एनपीएस में जमा किए गए पैसे वापस मांगे।
राज्यसभा में वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने एक प्रश्न के उत्तर में इसी माह बताया कि एनपीएस फंड राज्यों को लौटाना संभव नहीं है। इसके लिए उन्होंने पेंशन नियामक पीएफआरडीए के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि फिलहाल ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे एनपीएस में जमा पैसा राज्यों को लौटाया जा सके। अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी स्पष्ट कर दिया है कि एनपीएस में जमा आम आदमी का पैसा राज्यों को नहीं दिया जा सकता।
पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने वाले मुख्यमंत्रियों का कहना है कि एनपीएस का पैसा राज्य के कर्मचारियों का है। राज्य सरकार ने भी इसमें योगदान दिया है। इसमें एक भी पैसा केंद्र सरकार का नहीं है। राज्य सरकारों का कहना है कि कर्मचारियों का पैसा रिस्क पर है, हमें कानून बनाने का हक है। राज्य सरकारों का कहना है कि 2018 की कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि एनपीएस सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही। अगर एनपीएस बेहतर है तो इसे न्यायपालिका और तीनों सेनाओं में लागू क्यों नहीं किया जा रहा है ? लेकिन इस मामले में केंद्र का कहना है कि यह राशि कर्मचारियों की है न कि नियोक्ता की, इस तरह केंद्र सरकार सरकारी कर्मचारियों को बंधक बनाए हुए है।
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