शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों से अब जोड़ेंगे भावनात्मक संबंध
घर हो या विद्यालय, बच्चे रचनात्मक तरीके से तभी कुछ सीख पाते हैं जब वे सिखाने वाले से अपनापन महसूस करें। इसीलिए मां को सबसे बेहतर शिक्षक कहा गया है। बच्चों व शिक्षकों के बीच कुछ ऐसा ही जुड़ाव बनाने की पहल परिषदीय विद्यालयों में शुरू की गई है।

- बच्चों व शिक्षकों के बीच कुछ आत्मीय जुड़ाव बनाने की पहल परिषदीय विद्यालयों में हुई शुरू
कानपुर देहात,अमन यात्रा : घर हो या विद्यालय, बच्चे रचनात्मक तरीके से तभी कुछ सीख पाते हैं जब वे सिखाने वाले से अपनापन महसूस करें। इसीलिए मां को सबसे बेहतर शिक्षक कहा गया है। बच्चों व शिक्षकों के बीच कुछ ऐसा ही जुड़ाव बनाने की पहल परिषदीय विद्यालयों में शुरू की गई है। बेसिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए अगस्त के दूसरे पखवारे से लेकर दिसंबर के पहले पखवारे तक शिक्षक-विद्यार्थी संबंध अभियान की कार्ययोजना तय की है। इसमें शिक्षकों को विद्यार्थियों के घर जाना और अभिभावकों को स्कूल बुलाना जरूरी किया गया है।
बेसिक शिक्षा विभाग का मानना है कि विद्यालय शिक्षण से जरूरी विद्यालय में शैक्षिक परिदृश्य बनाना है। इसी को ध्यान में रखकर कार्य किया जा रहा है। विभाग ने इसके लिए साप्ताहिक गतिविधियां तय की हैं। मसलन छात्र-छात्राओं को इस तरह पढ़ाएं कि उन्हें एक टीम के रूप में कार्य करने की जरूरत पड़े। छात्रों के साथ घरेलू सामग्री व स्टेशनरी का उपयोग करके नवाचार करें। शिक्षक विद्यार्थियों के घर का भ्रमण करें, उनके बीच प्रतियोगिताएं कराएं, स्कूल में प्रदर्शनी व मेला लगाएं।
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बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने कहा है कि शिक्षक विद्यार्थी संबंध अभियान का मुख्य उद्देश्य शिक्षक और छात्रों के बीच भावनात्मक संबंध स्थापित कर कक्षा / स्कूल परिवेश को बच्चों के अनुकूल बनाना है। तत्क्रम में साप्ताहिक गतिविधियां इस आशय से संलग्न की जा रही हैं कि सपोर्टिव सुपरविजन विजिट्स के माध्यम से तथा बीएसए एवम बीईओ द्वारा व्यक्तिगत रुचि लेते हुए उक्त का क्रियान्वयन सुनिश्चित कराया जाए।
बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धी पाण्डेय ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे विद्यालयी वातावरण से सहज हों, इसके लिए उन्हें भावनात्मक रूप से तैयार करने की जिम्मेदारी शिक्षकों की होती है। शिक्षकों को बच्चों को विषय के साथ ही खेल गतिविधियां भी करानी चाहिए। बच्चों की जिज्ञासा को दूर करें, समस्याओं को हल करें व क्षमता विकास के लिए रचनात्मक माहौल बनाया जाना जरूरी है। इससे बच्चे, विद्यालय व शिक्षक के बीच सार्थक व स्वस्थ संबंध स्थापित होते हैं।
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