अमन यात्रा, कानपुर देहात। वित्त वर्ष 2022-23 और एसेसमेंट ईयर 2023-24 के लिए आईटीआर दाखिल की डेडलाइन करीब आ रही है। आयकर विभाग ने इस जरूरी काम को करने के लिए 31 जुलाई 2023 की लास्ट डेट तय की है। ऐसे में लास्ट डेट का इंतजार न करें और बिना देरी किए जल्द से जल्द आईटीआर कर दें। ये काम करना बेहद आसान है और आप घर बैठे महज 5 मिनट में कर सकते हैं।
आईटीआर फाइल करना है बेहद जरूरी-
हर टैक्सपेयर के लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है वहीं अगर आप इनकम टैक्स के दायरे में नहीं भी आते हैं फिर भी आपको आईटीआर फाइल करना चाहिए। इस बीच सैलरीड क्लास को संस्थान की ओर से आईटीआर फाइलिंग के लिए फॉर्म-16 उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे में आईटीआर फाइलिंग से पहले फॉर्म-16 और एनुअल इनफॉरमेशन स्टेटमेंट में दिए गए डेटा का मिलान जरूर करें जिससे ये पता लग सके कि आयकर विभाग को जो डेटा दिया जा रहा है वो एकदम सटीक है।
ध्यान रखें कि टैक्स चुकाने के साथ कर बचाने की भी जरूरत है।दरअसल कुछ आय करमुक्त होती हैं। कुछ कमाई पूरी तरह कर योग्य होती हैं। कुछ ऐसी आय भी होती हैं जो इन दोनों के बीच आती हैं। ऐसे में अधिक से अधिक कर बचाने और अपनी टेक होम सैलरी को अधिकतम करने के लिए टैक्स संबंधी योजना बहुत मायने रखती है। इसके जरिये आप न सिर्फ अपनी कर देनदारी घटा सकते हैं बल्कि निवेश के लिए पैसे की बचत कर अपने वित्तीय लक्ष्यों को भी पूरा कर सकते हैं।
कर कटौती और छूट का उठाएं फायदा-
आयकर कानून के तहत उपलब्ध कर छूट व कटौती का पूरा लाभ उठाएं। धारा-80सी (पीपीएफ, ईपीएफ और कर बचत म्यूचुअल फंड जैसे साधनों में निवेश) धारा-80डी (स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम) और धारा-24(बी) (होम लोन ब्याज के लिए) जैसी कटौती का ध्यान रखें।
कर बचत वाले साधनों में निवेश- पब्लिक प्रोविडेंट फंड, सुकन्या समृद्धि, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, जीवन-स्वास्थ्य बीमा में निवेश पर 80सी के तहत लाभ मिलता है।
ईएलएसएस कर सकते हैं- इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) कर बचाने वाला म्यूचुअल फंड है। इसमें 80सी के तहत कर लाभ के साथ फंड बढ़ाने का भी मौका मिलता है।
होम लोन पर लाभ उठाएं-
होम लोन लिया है तो 80सी के तहत मूल रकम पर 1.50 लाख और 24बी के तहत चुकाए गए ब्याज पर 2 लाख तक की छूट का दावा कर सकते हैं। अगर पहली बार घर खरीदा है तो 80 ईईए के तहत अतिरिक्त छूट के हकदार हो सकते हैं।
कैपिटल गेन्स के मामले में होल्डिंग अवधि का रखें ध्यान-
कैपिटल गेन्स के लिहाज से होल्डिंग अवधि के प्रति सजग रहें। जरूर देखें कि आप जहां निवेश कर रहे हैं वह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स के अंतर्गत आता है या लॉन्ग टर्म। इक्विटी निवेश पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर अलग तरीके से टैक्स लग सकता है। कर बचाने के लिहाज से म्यूचुअल फंड में निवेश पर विचार करें ताकि आप अपनी कर देनदारी घटा सकें।
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