तेज बारिश में जर्जर स्कूल भवन का गिरा छज्जा, जान जोखिम में डाल पढ़ने जा रहे बच्चे
मिशन कायाकल्प के बाद भी जिले के परिषदीय स्कूलों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। वहीं मूसलाधार बारिश जर्जर भवनों व जर्जर स्कूलों के लिए काल बनकर आई है। जनपद में कई मकान धराशाई हो गए, तो कई स्कूलों की बाउंड्रीवाल गिर गई तो कई स्कूलों के छज्जे टूटकर गिर गए, कई स्कूलों की छत का प्लास्टर गिर रहा है तो कई स्कूलों की छतों से पानी टपक रहा है।
सुशील त्रिवेदी, कानपुर देहात : मिशन कायाकल्प के बाद भी जिले के परिषदीय स्कूलों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। वहीं मूसलाधार बारिश जर्जर भवनों व जर्जर स्कूलों के लिए काल बनकर आई है। जनपद में कई मकान धराशाई हो गए, तो कई स्कूलों की बाउंड्रीवाल गिर गई तो कई स्कूलों के छज्जे टूटकर गिर गए, कई स्कूलों की छत का प्लास्टर गिर रहा है तो कई स्कूलों की छतों से पानी टपक रहा है। यहां पढ़ने आने वाले बच्चों को इस खतरे का एहसास भी नहीं है, वे तो सिर्फ पढ़ाई कर रहे हैं। कभी सिर पर आफत टूट पड़ी तो प्रशासन को भी जवाब देते नहीं बनेगा। पिछले तीन दिनों से भारी बारिश के कारण मंगलवार को उच्च प्राथमिक विद्यालय अहिरनपुरवा सरवनखेड़ा की छत का हिस्सा छज्जा समेत गिर गया। गलीमत यह रही कि उस समय शिक्षकगण ऑफिस में थे और बारिश की वजह से बच्चे विद्यालय में नहीं आए थे नहीं तो कोई बहुत बड़ी अप्रिय घटना घटित हो सकती थी। इस विद्यालय में ग्राम प्रधान रानी देवी द्वारा कायाकल्प के तहत आधे अधूरे कार्य करवाए गए हैं। विद्यालय में रैम्प में रेलिंग नहीं लगवाई गई है। बालिका टॉयलेट के दरवाजे में कुंडी तक नहीं लगी है।
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बालिका टॉयलेट में यूरिनल सीट भी नहीं लगाई गई है। इस विद्यालय की छत बहुत ही जर्जर है जबकि इस विद्यालय का निर्माण 2008 में करवाया गया है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है की विद्यालय बनाए जाने में कितनी घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया है क्योंकि इतने कम समय में सभी कक्षाओं में प्लास्टिक टूट-टूट कर गिरना एवं कक्षाओं में बारिश का पानी टपक टपक कर गिरना भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
प्रधानाध्यापिका पूनम सिंह ने बताया कि जर्जर बिल्डिंग की सूचना हर साल विभाग को देते हैं किन्तु जर्जर छत में कोई भी कार्य नहीं करवाया गया। विद्यालय में 55 बच्चे नामांकित है कभी भी कोई भी अप्रिय घटना घटित हो सकती है।