हादसे को न्योता दे रहा स्कूल का जर्जर भवन, टूटी-फूटी छत के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर मासूम, विभाग ने मूंदी आंखें
जिले में शिक्षा व्यवस्था और स्कूल की इमारतें पूरी तरह से बदहाली का शिकार हो चुकी हैं। विकासखण्ड मैंथा क्षेत्र में स्थिति प्राथमिक विद्यालय गोसाईपुर में बने कमरों की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। छत कब गिर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है लेकिन छत के नीचे बैठकर सैकड़ों की संख्या में मासूम पढ़ाई कर रहे हैं।
ज्ञान सिंह, कानपुर देहात : जिले में शिक्षा व्यवस्था और स्कूल की इमारतें पूरी तरह से बदहाली का शिकार हो चुकी हैं। विकासखण्ड मैंथा क्षेत्र में स्थिति प्राथमिक विद्यालय गोसाईपुर में बने कमरों की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। छत कब गिर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है लेकिन छत के नीचे बैठकर सैकड़ों की संख्या में मासूम पढ़ाई कर रहे हैं। मासूमों की जिंदगी पर मौत का संकट मंडरा रहा है लेकिन शिक्षा विभाग के अफसरों पर इस ओर कोई ध्यान नहीं है। इस सरकारी स्कूल में शिक्षा के नाम पर मासूमों को मौत के मुंह में धकेलने का काम चल रहा है लेकिन शिक्षा विभाग नींद के आगोश में है।विकासखण्ड मैंथा क्षेत्र में स्थित गोसाईपुर के इस स्कूल के छात्रों से जब जर्जर छत के नीचे बैठकर पढ़ने के बारे में पूछा गया तो बच्चों ने सहम कर जबाब दिया डर तो बहुत लगता है लेकिन क्या करें बहुत सारे बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं। सब इसी बिल्डिंग और छत के नीचे पढ़ते हैं। उधर स्कूल में मौजूद शिक्षामित्र सरिता यादव की मानें तो शिक्षा विभाग के अफसरों को कई बार जर्जर बिल्डिंग के बारे में अवगत कराया गया लेकिन आज तक विभाग ने सुध नहीं ली जिससे आज भी मासूम बच्चे जर्जर बिल्डिंग में पढ़ने को मजबूर हैं।
अनदेखी से हो सकता है बड़ा हादसा-
प्राथमिक विद्यालय की जर्जर इमारत होने की वजह से कभी भी हादसा हो सकता है जिसका खामियाजा जर्जर इमारत की छत के नीचे पढ़ रहे मासूम छात्रों को भुगतना पड़ सकता है। लेकिन जनपद के शिक्षा विभाग के अफसरों को इसकी कोई परवाह नहीं है। इसी वजह से जर्जर छत के नीचे मासूम छात्रों के जीवन में मौत का साया लगातार मंडरा रहा है।
मौत के साए में संवार रहे भविष्य-
स्कूल की बिल्डिंग और छत जर्जर अवस्था में है। बरसात में पूरी बिल्डिंग से पानी टपकता है, छत में पड़ी सरिया नीचे से दिखने लगी है जिसके कारण सीमेंट के टुकड़े भी ऊपर से गिरते रहते हैं। ऐसे में किसी भी वक्त हादसा हो सकता है लेकिन स्कूल के मासूम छात्र शिक्षा विभाग के आगे बेबस होकर मौत के साए में भविष्य संभाल रहे हैं। हालांकि स्कूल के अध्यापकों द्वारा शिक्षा विभाग के अफसरों को कई बार जर्जर बिल्डिंग के बारे में अवगत भी कराया गया लेकिन शिक्षा विभाग के अफसरों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया, लिहाजा समय रहते शासन ने कोई ध्यान नहीं दिया तो भविष्य में बड़ी घटना हो सकती है जिसका खामियाजा मासूम बच्चों को भुगतना पड़ेगा.
विद्यालय में आने जाने का नहीं है कोई रास्ता-
गोसाईपुर ग्रामीणों व विद्यालय में उपस्थित बच्चों की माने तो इस विद्यालय में आने जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। बच्चों को विद्यालय खेतों की पगडंडियों से जाना पड़ता है, वहीं बरसात के मौसम में विद्यालय ग्राउंड में पानी भी भर जाता है जिसके चलते कई बार बच्चे फिसलकर गिर भी जाते हैं पर बच्चों की सुध लेने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा है। इस संदर्भ में मैथा खंड शिक्षा अधिकारी नसरीन फारुकी से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया मैसेज करने पर मैसेज का भी जवाब नहीं दिया।