आपकी बात

तीज-त्यौहारों को लेकर हमारे सामाजिक परिवेश में आए बदलाव चिन्ता का विषय : विद्यासागर त्रिपाठी

  भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विद्यासागर त्रिपाठी ने कहा है कि पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व हालांकि शांति सद्भाव और सोल्लास संपन्न हो गया है किंतु समाज में आधुनिकता का प्रभाव सर चढ़कर बोल रहा है।

Story Highlights
  • भावनात्मक मेल मिलाप की देखती है कमी, सोशल मीडिया तक सीमित रह गए पर्व

सुशील त्रिवेदी, कानपुर देहात :  भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विद्यासागर त्रिपाठी ने कहा है कि पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व हालांकि शांति सद्भाव और सोल्लास संपन्न हो गया है किंतु समाज में आधुनिकता का प्रभाव सर चढ़कर बोल रहा है। उन्होंने कहा कि त्यौहार सोशल मीडिया तक समझ रहे हैं जो चिंता का विषय है।

विगत दीपावली के पंच दिवसीय पर्व पर घर बैठे बैठे शोसलमीडिया के माध्यम से अनगिनत शुभकामना संदेश प्राप्त किये, बहुत सारे सम्बंधियों मित्रों शुभचिंतकों को यथोचित प्रतिउत्तर भी प्रेषित किये,स्वयं मैंने भी बहुत सारे शुभकामना संदेश प्रेषित किये शुभकामना संदेश आते रहे प्रति उत्तर भेजता रहा, लेकिन अन्तरस्थल के किसी कोने में रह रह कर विगत दस पन्द्रह बीस वर्षों में हमारे सामजिक परिवेश में आये बडे बदलावों को लेकर समीक्षात्मक चिंतन का द्वंद भी लगातर चलता रहा, शायद मेरे जैसे कई अन्य हम उम्र लोगों के हृदय में भी ऐसे ही समसामयिक विचार पर्वों पर अवश्य ही आये होंगे।


हमारे समाज में सिर्फ बीस वर्ष पहले तक भले ही कुछ अधिकारियों राजनीतिज्ञो पूँजी पतियों ठेकेदारो को छोड़कर समाज के अधिसंख्य जन मानस के पास बड़े बड़े आलीशान भवन,सुसज्जित अतिथिकक्ष नहीं थे,उनमें बडे बडे आरामदेह शोफा सेट एवं कलात्मक बैड दीवान व सज्जा के बहुमूल्य महकते गुलदस्ते छतों पर झूमते झूमर एवं इलेक्ट्रिकल्स व इलेक्ट्रानिक उपकरण नहीं थे, लेकिन तब के साधरण घर आंगन, कमरे, बरामदे तथा घर बाहर छप्पर के नीचे सौहार्द पूर्ण वातावरण में त्योहारिक आपसी मेल मिलाप, हंसी,आत्मीयता के साथ सजती वो चौपाले जिनमें खील खिलौने लाई गट्टों की प्रसाद रूपी प्रेम पगी मिठाई के साथ आदर का पान इलाइची लौंग सौंफ का वो आनन्द अब आधुनिकता की अंधी दौड़ में न जानें कहां खो गया है,राजनीतिक राजनेताओं बडे अधिकारियों औद्योगिक समूहों के घरानों को यदि छोड़ दें तो,अब पर्व व त्योहार सिर्फ और सिर्फ शोसलमीडिया तक सीमित हो गया है, कुछ हद तक नशे का आकर्षण भी सनातन पर्वों पर ग्रहण लगा रहा है,वर्तमान में हम सब में से एक बडी संख्या के लोगों ने आधुनिक बड़े बडे भवनों,सुसज्जित अतिथि कक्षों तथा बरामदों हरेभरे लॉनों का निर्माण कर लिया है  लेकिन वहां से कहीं दूर दूर तक खनकती वो हंसी ठिठोली की आवाजें सुनाई नहीं देती,घर परिवारों में अब देवतुल्य मेहमानों अतिथियों का आगमन एकमात्र औपचारिकता निभाने तक सीमित रह गया है, पारिवारिक घर के सदस्य भी अब अपने अपने मोबाइल सेटों के साथ खेलने तक सीमित हो गये हैं।


वर्तमान समय में घर के सदस्यों का परिवार से,परिवार का समाज से,तथा समाज का अपने सांस्कृतिक संस्कारों से फासला भी निरंतर बढ़ता जा रहा है! परिणाम श्वरूप हम सब हिन्दू तीज त्योहारों पर्वों के सनातनी धर्म  का महत्व तथा उसकी उपयोगिता को नजर अंदाज करके अपने संसाधनों तक सीमित होते जा रहे हैं,सामाजिक परम्पराओं से दूर होते जा रहे हैं,यही कारण है कि हम सब में से अधिसंख्य जनों ने अपने अपने भवनों के सुसज्जित ड्राइंगरूमों में इलेक्ट्रानिक मीडिया तथा शोसल मीडिया के सामने बैठकर स्वयं के घर में निर्मित य प्रतिष्ठित मिष्ठान भंडारों से लाये गये लजीज व्यंजनों को स्वयं परिवारिक जनों के साथ आनन्द लेकर सम्पूर्ण दीपोत्सव महापर्व का आनन्द प्राप्त कर लिया होगा। हाँ ऐसे पर्वो त्योहारों पर बडे बडे नौकरशाहो के आवसों राजनीतिज्ञों के आलीशान भवनों व कार्यालयों पर महंगी मिठाई एवं उपहार लिये लोगों की भीड अवश्य दिखाई देती रही होगी, जिसे त्योहार का श्वरूप कहें य फिर वर्तमान में उनकी विवशता का कारण, दूसरी ओर औद्योगिक समूह के घरानों के कार्यालयों से उनके अपने कर्मचारी गणों ड्राइवरों के हाथों अधीनस्त समूहों से जुड़े अपने व्यवषायियों को मिठाई आदि उपहार श्वरूप कुछ न कुछ उन्हें भेजकर अपने दायित्यों की इतिश्री कर लेना ही अपनी श्रेष्ठता समझते हैं।


अन्त में सिर्फ इतना कहूँगा कि भारतीय संस्कृति के त्योहारों को प्रतिवर्ष मनाये जाने के पीछे महापुरुषों ने सायद देश के सामाजिक व पारसपरिक मेलमिलाप के साथ भावनात्मक संस्कारोक्त रिस्तों का निर्माण करके हर्ष आनन्द के साथ मिलजुल कर समाज और राष्ट्रनिर्माण करने का उद्देश्य ही उनके मन में रहा होगा, इसलिये आज हम आधुनिकता के बहाव में अपनी संस्कृति से दूरी न बनाएं बल्कि उसे पुष्पित और पल्वित करने के लिये हर सम्भव प्रयास करते रहें, तभी हम अपनी गौरवशाली संस्कृति को बचा पाने में सक्षम होंगे। देश भर में यह पंच दिवसीय दीपोत्सव पर्व शान्ति सद्भाव और सोल्लास सम्पन्न होने पर आप सभी को हार्दिक बधाई ।

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

AD
Back to top button