अगर फर्श या जमीन पर बच्चों को बिठाकर कराया मध्यान भोजन तो प्रधानाध्यापक होंगे निलंबित

खराब आर्थिक स्थिति की वजह से आज भी कई बच्चों को कठिन हालातों में जीवन गुजारना पड़ता है जिसका सीधा असर उनकी शिक्षा पर भी पड़ता है, परिणामस्वरूप कई बच्चे स्कूल ही नहीं जा पाते लेकिन पिछले कुछ दशकों से देश के विभिन्न राज्यों में मिड डे मील योजना के तहत सरकार द्वारा गरीब एवं आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को भी शिक्षा के अवसर प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।

कानपुर देहात- खराब आर्थिक स्थिति की वजह से आज भी कई बच्चों को कठिन हालातों में जीवन गुजारना पड़ता है जिसका सीधा असर उनकी शिक्षा पर भी पड़ता है, परिणामस्वरूप कई बच्चे स्कूल ही नहीं जा पाते लेकिन पिछले कुछ दशकों से देश के विभिन्न राज्यों में मिड डे मील योजना के तहत सरकार द्वारा गरीब एवं आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को भी शिक्षा के अवसर प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।

मिड डे मील योजना को भारत में शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए संचालित किया जा रहा है।

मिड डे मील योजना के तहत सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को पौष्टिक भोजन मिले इसके लिए प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने समस्त जनपदों के जिलाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं। बच्चों की सेहत को लेकर राज्य सरकार सख्त हो गई है। ऐसे में बच्चों को दिया जाने वाला भोजन गुणवत्ता वाला और पौष्टिक होना चाहिए इसके लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं।

 

नवीन दिशा निर्देश –

नए दिशा-निर्देशों के तहत संबंधित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को योजना के तहत छात्र-छात्राओं को पौष्टिक भोजन, उच्च गुणवत्तापूर्ण एवं ताजा भोजन उपलब्ध कराना होगा। इसके लिए भोजन की गुणवत्ता, खाद्यान्न के रखरखाव, स्वास्थ्य सुरक्षा एवं साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना होगा।

बच्चों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता व पौष्टिकता का पूरा ध्यान रखना होगा। इसके लिए रोजाना दिए जा रहे मेन्यू में हरी पत्तेदार सब्जियां अधिक से अधिक उपयोग में लेनी होगी। इसके अलावा चपाती अच्छी तरह से पकी हुई होनी चाहिए। किसी भी परिस्थिति में चपाती जली हुई नहीं हो। अधिक पौष्टिक एवं स्वादिष्ट बनाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, बथुआ, लौकी, मैथी, धनिया आदि आटे में मिलाकर मसालों के साथ तैयार करनी होंगी।

भोजन में खाद्यान, दालें, मसाले एवं तेल की निर्धारित मात्रा का उपयोग करना होगा।

भोजन रसोई गैस द्वारा ही तैयार किया जाए।

खाद्यान, सब्जियां अच्छी तरह साफ एवं धोकर काम में ली जाए। अगर खाद्यान खाने योग्य नहीं है तो उसे किसी भी स्थिति में उपयोग नहीं लिया जाए।

उच्च गुणवत्तायुक्त दाल, तेल व मसाले उपयोग किए जाए।

खाने को रोस्टर के मुताबिक कम से कम दो वयस्क व्यक्तियों (अध्यापक/अध्यापिका / रसोइया / विद्यालय प्रबन्ध समिति के सदस्य / मां समूह) के भोजन को चखने के उपरान्त गुणवत्ता संतोषजनक होने पर ही बच्चों को भोजन वितरित कराया जाये। विद्यालय स्तर पर भोजन चखने के लिए दिवसवार रोस्टर तैयार किया जाए और इसमें रोज भोजन चखने वाले व्यक्ति का नाम एवं पदनाम अंकित किया जाए।

विद्यालय में डायनिंग शेड उपलब्ध न होने की स्थिति में बच्चों को स्वच्छ एवं साफ-सुथरे स्थान पर चटाई पर पंक्तिबद्ध रूप से उचित दूरी पर बैठाकर सौहार्दपूर्ण वातावरण में भोजन खिलाया जाय।

विद्यालयों में किसी भी स्थिति में एक तिमाही की मांग से अधिक खाद्यान स्टॉक नहीं होना चाहिए।

खाद्यान एक निश्चित ऊंचाई कम से कम छह इंच के प्लेटफार्म पर दीवारों से दूर रखा जाए जिसमें चूहे एवं अन्य कीड़े-मकड़ों की समस्या न हो।

जिस कमरे में खाद्यान रखा है उस कमरे में वेंटिलेंशन होना चाहिए ताकि नमी के कारण अनाज के खराब होने की समस्या से बचा जा सके।

नए खाद्यान को पुराने खाद्यान से अलग रखा जाए।

खाद्यान को सुरक्षित रखने के लिए किसी भी स्थिति में पेस्टीसाइड, कीड़े एवं चूहे मारने के लिए काम आने वाला कोई भी रसायनिक पदार्थ उपयोग में नहीं लिया जाए। ऐसा कोई जहरीला या हानिकारिक पदार्थ रसोई या भंडारण के नजदीक नहीं रखा जाए।

बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धी पाण्डेय ने कहा कि मिड-डे-मील आयुक्तालय की ओर से बच्चों को दिए जाने वाले भोजन को लेकर नए दिशा-निर्देश मिले हैं। जिसके तहत संस्था प्रधानों को बच्चों को गुणवत्ता व पौष्टिक भोजन परोसना होगा। भोजन परोसने से पहले दो व्यक्ति उसे चखेंगे। लापरवाही सामने आने पर कार्यवाही की जाएगी

Author: aman yatra

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