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बिग ब्रेकिंग : पेंशन शंखनाद रैली से देश में मची खलबली, संख्या बल देखकर सत्ता पक्ष के फूले हाथ पांव
पुरानी पेंशन बहाली के लिये अटेवा व नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम से जुड़े संगठन रविवार एक अक्टूबर को रामलीला मैदान दिल्ली पहुंच गये। इस रैली में देश भर से करीब 22 लाख कर्मचारी पहुंचे हैं.

- रैली में पहुंचे 20 से 22 लाख सरकारी कर्मचारी , दिल्ली की सड़कों पर अटेवियन का हुजूम
- रामलीला मैदान फुल लोग सड़कों पर खड़े
- इतिहास में पहली बार किसी रैली में इतनी अधिक संख्या जिसका कि सरकार भी नहीं कर पाई आकलन
राजेश कटियार ,दिल्ली / कानपुर देहात। पुरानी पेंशन बहाली के लिये अटेवा व नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम से जुड़े संगठन रविवार एक अक्टूबर को रामलीला मैदान दिल्ली पहुंच गये। इस रैली में देश भर से करीब 22 लाख कर्मचारी पहुंचे हैं। शुक्रवार से ही कर्मचारियों का दिल्ली पहुंचना जारी था। एक अक्टूबर को सुबह ही रामलीला मैदान भरा गया। दिल्ली पुलिस ने मैदान में टेंट लगाने की अनुमति नहीं दी थी इसके बावजूद कर्मचारियों के जोश में कमी नहीं आयी और संख्या बल लगातार बढ़ता चला गया रामलीला मैदान खचाखच भर गया उसके बाद लाखों लोग सड़कों पर खड़े दिखाई दिए। पूरी दिल्ली में यातायात व्यवस्था चरमरा गई। रैली में भारी भीड़ के कारण लोगों को पैर रखने तक की जगह नहीं मिल रही थी। सड़क पर हजारों वाहनों के कारण जाम की स्थिति बनी रही जिससे अन्य वाहनों का आवागमन ठप हो गया।

पुरानी पेंशन बहाली के लिए देशभर से आए लाखों कर्मियों ने रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में हुंकार भरी। केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने पेंशन शंखनाद महारैली में कहा कि अगर सरकार अपनी जिद नहीं छोड़ती है तो वोट की चोट के आधार पर पुरानी पेंशन बहाल कराएंगे। सरकारी कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक साबित होगी। इस रैली में केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी संगठनों ने भाग लिया। हालांकि रैली का आयोजन नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के बैनर तले हुआ है। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि पुरानी पेंशन कर्मियों का अधिकार है। वे इसे लेकर ही रहेंगे। दिल्ली का रामलीला मैदान, सरकारी कर्मियों से खचाखच भरा हुआ था।

बता दें कि इस रैली की तैयारियां, करीब एक वर्ष से जारी थीं। कई राज्यों के कर्मचारी दो-तीन दिन पहले ही दिल्ली पहुंच गए थे। रेल, बस और दूसरे वाहनों में बैठकर कर्मचारी दिल्ली पहुंचे हैं। अनेक कर्मियों को रेल की तत्काल टिकट लेनी पड़ी। रविवार सुबह 11 बजे रामलीला मैदान पूरी तरह खचाखच भर चुका था। रामलीला मैदान के चारों तरफ की सड़कों पर कर्मियों के जत्थे चल रहे थे। कर्मियों के द्वारा पुरानी पेंशन का नारा लगाया जा रहा था। इससे पहले केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने 10 अगस्त को रामलीला मैदान में एक विशाल रैली आयोजित की थी। अब नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) द्वारा पेंशन शंखनाद महारैली आयोजित की गई है। विजय कुमार बंधु ने रैली की सफलता के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा किया था। बंधु ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा, अब जीवन मरण का प्रश्न बन चुका है। जब पांच राज्यों में पुरानी पेंशन बहाल हो सकती है तो पूरे देश में क्यों नहीं। देश की आंतरिक और सीमा की सुरक्षा में तैनात सीएपीएफ जवानों को भी पुरानी पेंशन से वंचित रखा जा रहा है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को भारत संघ के शस्त्र बल मानते हुए उन्हें पुरानी पेंशन का फायदा देने का फैसला सुनाया था। केंद्र सरकार ने उसे लागू करने की बजाए सुप्रीम कोर्ट में स्थगन आदेश ले लिया जबकि स्वयं पुरानी पेंशन ले रहे हैं। अन्य सरकारी कर्मचारियों को नई पेंशन के फायदे गिनवा रहे हैं अगर नई पेंशन इतनी ही अच्छी है तो स्वयं क्यों उसे स्वीकार नहीं कर लेते। सरकार की यह दोहरी नीति सरकारी कर्मचारियों को किसी भी रुप में स्वीकार नहीं होगी। सरकारी कर्मियों का केवल एक ही मकसद है बिना गारंटी वाली एनपीएस योजना को खत्म किया जाए एवं गारंटी वाली पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए।
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