कानपुर देहात

फर्जी शिक्षक होंगे अब सलाखों के पीछे

फर्जी दस्तावेज के जरिए बेसिक शिक्षा परिषद में शिक्षकों की नियुक्ति की शिकायत पर एसटीएफ ने जांच शुरू की तो प्रदेश में हजारों शिक्षक फर्जी निकल पड़े। अगर प्रत्येक जनपद में शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों, जाति प्रमाण पत्रों, निवास प्रमाण पत्रों, विकलांगता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के प्रमाणपत्रों एवं अन्य आरक्षण संबंधी प्रमाण पत्रों की जॉच गहनता से करवाई जाए तो हजारों और फर्जी शिक्षक निकल सकते हैं।

अमन यात्रा, कानपुर देहात :  फर्जी दस्तावेज के जरिए बेसिक शिक्षा परिषद में शिक्षकों की नियुक्ति की शिकायत पर एसटीएफ ने जांच शुरू की तो प्रदेश में हजारों शिक्षक फर्जी निकल पड़े। अगर प्रत्येक जनपद में शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों, जाति प्रमाण पत्रों, निवास प्रमाण पत्रों, विकलांगता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के प्रमाणपत्रों एवं अन्य आरक्षण संबंधी प्रमाण पत्रों की जॉच गहनता से करवाई जाए तो हजारों और फर्जी शिक्षक निकल सकते हैं। बीते दिनों की जांच रिपोर्ट में 1337 फर्जी शिक्षक चिह्नित हुए लेकिन एफआईआर दर्ज हुई केवल 1212 शिक्षकों के खिलाफ, वहीं वसूली केवल 287 शिक्षकों से की गई।

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फर्जी शिक्षकों से अब तक 133.93 करोड़ रुपये की रिकवरी हो चुकी है। इस ढीली कार्यवाही को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने नाराजगी जताई है। वे जल्द ही अपर जिलाधिकारियों के साथ इस संबंध में बैठक करेंगे। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने फर्जी शिक्षकों का ब्यौरा जारी करते हुए कहा है कि 1337 शिक्षकों को फर्जी पाया गया है लेकिन इनमें से केवल 1323 की सेवा समाप्ति की गई है। वहीं इनमें केवल 1212 के खिलाफ एफआईआर की गई। वसूली की कार्यवाही बहुत ढीली है। केवल 287 से वसूली हो पाई है जबकि 624 शिक्षकों की वसूली का आगणन हो चुका है और 500 को नोटिस जारी किया गया है। 143 के लिए आरसी जारी की गई है। उन्होंने कहा कि झांसी, जालौन, ललितपुर, चित्रकूट, हमीरपुर, बांदा, महोबा से एक भी सूचना प्राप्त नहीं हुई है।

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बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में एसआईटी, एसटीएफ व विभिन्न जांचों में फर्जी प्रमाणपत्रों से नौकरी पाए हुए शिक्षकों की जांच विभाग अपने स्तर से करा रहा है जिसमें कई जनपदों के बेसिक शिक्षा अधिकारी ढिलाई बरत रहे हैं। अगर सही मायने में देखा जाए तो फर्जी शिक्षकों को नियुक्ति देने में बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं उनके कार्यालयों में कार्यरत लिपिकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्हीं की मिलीभगत से ही फर्जी शिक्षकों को नियुक्ति मिल जाती है। अधिकांश जनपदों में अभी भी हजारों शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। इसके लिए कई बार विभागीय आदेश निर्गत हुए लेकिन खानापूर्ति के अलावा कोई भी सटीक कार्यवाही ना किए जाने की वजह से अभी भी जनपदों में फर्जी शिक्षक नौकरी कर रहे हैं। अकेले कानपुर मंडल में 57 शिक्षक फर्जी चिन्हित हुए हैं अगर मंडल के प्रत्येक जनपद में शिक्षकों के अभिलेखों की जांच सही ढंग से करवा दी जाए तो यह आंकड़ा सैकड़े को पार कर जाएगा।

Author: aman yatra

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