G-4NBN9P2G16
पुरुषों की दाढ़ी को लेकर शताब्दियों से तरह तरह के मत व्यक्त किये जाते रहे हैं। बड़े बड़े वैज्ञानिकों से लेकर अनेक आध्यात्मिक गुरुओं, धर्मगुरुओं व राजनेताओं तक को अक्सर ‘दाढ़ी युक्त ‘ देखा गया है। दुनिया के अनेक महान चिंतक, विचारक कवि तथा लेखक आदि भी दाढ़ी युक्त नज़र आते रहे हैं। आमतौर पर प्रकृतिक रूप से बढ़ने वाली पुरुषों की दाढ़ी के विषय में यही कहा जाता है कि दाढ़ी रखने वाले उक्त श्रेणी के लोग चूँकि अपने आप में इतना व्यस्त रहते हैं कि उन्हें अपने चेहरे की सुंदरता को दर्शाने के लिये बाल व दाढ़ी को सँवारने संभालने की फ़ुर्सत ही नहीं मिलती इसलिये लोग दाढ़ी कटवाने या उसका रखरखाव करने में समय नष्ट करने के बजाये उसे प्रकृति के भरोसे ही छोड़ देते हैं। केवल पुरुष ही नहीं बल्कि विश्व की अनेक व्यस्त महिलाएं भी ऐसी मिलेंगी जो समयाभाव के चलते अपने लंबे व सुन्दर दिखाई देने वाले केश को भी कटवा देती हैं ताकि उनका क़ीमती समय बालों को सजाने सँवारने में अधिक बर्बाद न हो। अनेक समुदाय के लोग धार्मिक मान्यताओं व प्रतिबद्धताओं की वजह से भी दाढ़ी रखते हैं। इनमें विभिन्न समुदायों में मान्यताओं व स्वीकार्यताओं के अनुसार अलग अलग रूप की दाढ़ियां रखी जाती हैं। वहीं दूसरी ओर अनेक लोग ख़ासतौर पर अनेक नेता, अभिनेता और युवा ऐसे भी हैं जो केवल फ़ैशन के लिये दाढ़ी रखते हैं। ऐसी दाढ़ियों के रखरखाव में काफ़ी समय व धन दोनों ही ख़र्च होता है।
हमारे देश में कुछ विशिष्टजनों की दाढ़ियों ने समय समय पर देशवासियों का ध्यान आकर्षित किया है। रविंद्र नाथ टैगोर व विनोबा भावे जैसे समाज सुधारक व अहिंसावादी महापुरुष जहां अपनी दाढ़ी की अलग पहचान रखते थे वहीँ राजनीति के क्षेत्र में दाढ़ी को फ़ैशन के रूप में स्वीकार्यता दिलाने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को जाता है। आज भी राजनीति में सक्रिय तमाम नेता चंद्रशेखर सरीखी दाढ़ी ही रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहचान भी देश में दाढ़ी रखने वाले नेताओं के रूप में ही बनी है। परन्तु मोदी की दाढ़ी व उनके केश कई बार अलग अलग रूप में भी देखे गये हैं। यहाँ तक कि उनकी दाढ़ी भी कई बार अलग अलग आकार ले चुकी है। याद कीजिए बंगाल में गत वर्ष 27 मार्च व 29 अप्रैल के मध्य जो विधानसभा चुनाव हुये थे उसमें भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से सत्ता छीनने के लिये सारे ही यत्न कर डाले थे। उसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दाढ़ी जोकि कोरोना काल से बढ़नी शुरू हुई थी, अपने शबाब पर थी। उस समय यह चर्चा भी बलवती थी कि बंगाल चुनाव के मद्देनज़र नरेंद्र मोदी ने बंगाल वासियों को रविंद्र नाथ टैगोर की याद दिलाने के लिये उन जैसी दाढ़ी रखी थी। गत वर्ष जिस समय मोदी की दाढ़ी बढ़ती जा रही थी उसी दौरान कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने उनकी दाढ़ी की तुलना देश की गिरती हुई GDP से की थी। थरूर ने उस समय प्रधानमंत्री की पांच तस्वीरें साझा की थीं जिसमें मोदी की दाढ़ी की अलग अलग लंबाई दिखाई दे रही थी। साथ ही थरूर ने 2017 से 2019-20 तक के आंकड़ों का एक मीम आधारित ग्राफ़िक्स भी साथ में शेयर किया था जिसमें दिखाया गया था कि साल 2017-18 की चौथी तिमाही में भारत की जीडीपी 8.1 फ़ीसदी थी, जो कि 2019-20 की दूसरी तिमाही में गिरकर 4.5 रह गई थी ।यानी दाढ़ी बढ़ती गयी और जी डी पी गिरती गयी।
परन्तु इन दिनों देश में जो सबसे बहुचर्चित दाढ़ी है वह है कांग्रेस नेता राहुल गांधी की। जब 7 सितंबर 22 को राहुल गाँधी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक की लगभग 3700 किलोमीटर लम्बी व क़रीब 150 दिन तक चलने वाली भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की थी उस दिन वे क्लीन शेव थे। परन्तु जैसे जैसे भारत जोड़ो यात्रा आगे बढ़ती गयी वैसे वैसे राहुल गांधी की दाढ़ी भी बढ़ती गयी। राहुल गाँधी की बढ़ती दाढ़ी को देखकर यह आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अन्य कई फ़ैशन परस्त नेताओं की तरह वे अपने साथ कोई ब्यूटीशियन नहीं रखते जो उनके बाल और दाढ़ी संवार सके। दूसरी बात यह कि राहुल, भारत को सामाजिक व संवैधानिक रूप से जोड़ने जैसा जो विराट मिशन लेकर इतनी मशक़्क़त भरी अकल्पनीय यात्रा पर निकले हैं उसमें दाढ़ी के रखरखाव या सेटिंग यहाँ तक कि उसे क्लीन कराने तक का समय भी कहां मिलता होगा? हाँ, भारत के विभिन्न राज्यों की ख़ाक अपने आप में समेटे राहुल की इस दाढ़ी को नकारात्मक नज़रिये से देखने वालों ने इसकी तुलना सद्दाम हुसैन की दाढ़ी से ज़रूर कर डाली। जबकि आलोचक भली भांति जानता था कि राहुल की दाढ़ी तपस्या, कठिन परिश्रम और समय के अभाव तथा अपने ‘लुक‘ पर तवज्जोह न देने का प्रतीक है। किसी की नक़ल, पाखंड या किसी बहुरुपिये द्वारा किया जा रहा कोई प्रयोग नहीं।
बहरहाल, यह यात्रा अपने अंतिम पड़ाव कश्मीर के लिये दिल्ली से एक सप्ताह से भी लंबे विश्राम के बाद रवाना होने की ख़बर है। उस समय भी सबकी नज़रें राहुल गांधी पर होंगी कि वे दिल्ली से क्लीन शेव होकर यात्रा शुरू करेंगे या कन्याकुमारी से बढ़ती आ रही दाढ़ी कश्मीर तक भी इसी तरह बढ़ती जायेगी? फ़िलहाल तो सरकार कोरोना के बहाने यात्रा को दिल्ली से आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश कर सकती है। और यदि फिर भी भारत जोड़ो यात्रा कश्मीर की तरफ़ अपनी इसी अपार सफलता व जन समर्थन के साथ बढ़ती रही और साथ ही राहुल गाँधी की दाढ़ी भी प्रकृतिक रूप से और भी बढ़ती रही फिर देखिये भारत जोड़ो यात्रा और इसके मुख्य नायक राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता से घबराये लोग सद्दाम हुसैन के बाद अब किससे राहुल गांधी की तुलना करते हैं। इस समय सत्ता और विपक्ष दोनों के ही दो प्रमुख नेता दाढ़ी धारी हैं। कहने को दाढ़ी तो एक है पर इनके रूप अनेक हैं।
लेखक- तनवीर जाफ़री
राजेश कटियार,कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद से जारी अवकाश तालिका के अनुसार 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा है।… Read More
कानपुर : सर्वोदय नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में आज सुबह अचानक जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के पहुँचते ही हड़कंप मच… Read More
मंगलपुर (कानपुर देहात)। मंगलवार सुबह सिकंदरा तहसील क्षेत्र के चमरौआ गांव का मजरा बलवंतपुर में एक दिल दहला देने वाली… Read More
कानपुर देहात में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। गजनेर थाना क्षेत्र के लोदीपुर गांव में खेत में काम करते… Read More
सुप्रीम कोर्ट की ओर से शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को शिक्षकों के लिए अनिवार्य किए जाने संबंधी निर्णय पर मुख्यमंत्री… Read More
लखनऊ/ कानपुर देहात। सेवारत शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिवार्य की गई टीईटी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने… Read More
This website uses cookies.