सुशील त्रिवेदी, कानपुर देहात : बेटे के साथ हत्या में सहभागिता रखने वाली मां को हुआ आजीवन कारावास,आज माती न्यायालय में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ श्री अमरजीत सिंह ने तरगांव थाना घाटमपुर निवासिनी महिला मीरा देवी को एक अबोध12 वर्षीय बालक की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई तथा जुर्माना भी लगाया।
घटना दिनांक 19 /10/ 2015 ग्राम तरगांव थाना घाटमपुर की है ।घटना की रिपोर्ट मृतक शारिक के पिता न उलीबक्स ने लिखाते हुए कहा कि दिनांक 19/१० / 2015 को मेरे बेटे शरिक को कुलदीप पुत्र छोटे व कुलदीप की मां मीरा देवी खेलते समय कहीं ले गए रात को घर वालों ने सारीक की खोजबीन की जब वह नहीं मिला तो इनसे भी पूछा तो तो इन लोगों ने इंकार कर दिया सुबह बच्चन सिंह के बाजरे के खेत में लाश मिली। मामला इतना संगीन हो गया था जब अभियुक्त कुलदीप को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो तो भीड़ ने थाने की जीप को घेर लिया था तथा कुलदीप को मारने का प्रयास किया था किसी तरह बचा कर उसे थाने ले जाया गया था। पुलिस से पूछताछ के दौरान कुलदीप ने बताया था उलीबक्स ने उसके खेत में बकरियां चरावा कर नुकसान किया था जिससे से उलीबक्स से कहासुनी हुई थी तो उली बक्स ने मेरे पेट में लात मार दी थी और सारिक ने भी मेरी आंख में धूल फेंक दी थी और ईट मार दी थी यह बात मैंने अपनी मां मीरा देवी को बताई थी और हम दोनों ने मिलकर इस की साजिश रची थी और सारिक को घर से बुलाकर मां के कहने पर व उसके पकड़ने पर चाकू मार दिया था तथा चाकू वही बगल के खेत में फेंक कर भाग आया था ।
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पुलिस ने चाकू बरामद किया था तथा विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा था जिसमें रक्त की पुष्टि हुई थी ।परीक्षण के दौरान कुलदीप को बाल अपचारी घोषित करते हुए फाइल को जुवेनाइल बोर्ड भेज दिया गया था तथा 2018 में वहां से उसे दोषमुक्त कर दिया गया था। अदालत में बचाव पक्ष व शासकीय अधिवक्ता प्रदीप पांडे प्रथम के मध्य जोरदार बहस हुई बचाव पक्ष का तर्क था कि मुख्य आरोपी को दोषमुक्त कर दिया गया है इसका लाभ मीरा देवी को दिया जाना चाहिए लेकिन श्री पांडे ने कहा इसका लाभ नहीं दिया जा सकता क्योंकि मीरा देवी के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य है कुलदीप द्वारा आला कत्ल चाकू पुलिस को बरामद कराया गया था जिसको विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया जहां से उसमें रक्त की पुष्टि हुई चिकित्सीय साक्ष व अभियोजन द्वारा अंतर्गत धारा 311 सीआरपीसी के तहत बुलाए गए गवाह ने न्याय कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। माननीय न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों को स्वीकार करते हुए मीरा देवी को धारा 302 में आजीवन कारावास व रु 10000 का जुर्माना तथा धारा 201 में 5 साल की सजा व 2000 रुपए का जुर्माना लगाया दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी.
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