कानपुर देहात

कवि कुमार विश्वास की पंक्ति कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है ने मचाया धमाल गूंजा तालियों से पूरा पांडाल

कानपुर देहात महोत्सव के चौथे दिवस कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है.... जैसे ही ये पंक्तियां डॉ. कुमार विश्वास ने मंच से गुनगुनाईं तो पूरा पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

अमन यात्रा, कानपुर देहात।  कानपुर देहात महोत्सव के चौथे दिवस कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है…. जैसे ही ये पंक्तियां डॉ. कुमार विश्वास ने मंच से गुनगुनाईं तो पूरा पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। चांस था कानपुर देहात महोत्सव में आयोजित कवि सम्मेलन का। मंच पर डॉ. कुमार विश्वास के अलावा देवबंद से आए डॉ. नवाज देवबंदी, बाराबंकी से आए विकास सिंह ‘बौखल’ कवयित्री कविता तिवारी और मध्य प्रदेश से गोविंद राठी भी मौजूद रहे।

कवि सम्मेलन की शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ कविता तिवारी ने किया। उसके बाद कवि सम्मेलन को आगे बढ़ाते हुए कुमार विश्वास ने कानपुर देहात के बुकनू और गुड़ के पेठे की तारीफ की। वहीं पत्रकारों व मीडिया पर भी व्यंग्य किया।

साथ ही साथ इशारों-इशारों में केजरीवाल पर भी बोलने से खुद को नहीं रोक सके। कार्यक्रम लगभग साढ़े 4 घंटे तक चला जिसमें से कुमार विश्वास ने 2 घंटे तक अकेले काव्यपाठ किया और जन्मदिन का केक काटकर समापन किया।

कानपुर देहात महोत्सव में संचालित कवि सम्मेलन की शुरुआत में पत्रकारों पर व्यंग्य करते हुए कहा कि पांडाल में पत्रकार मित्र भी बैठे हैं उनका बहुत स्वागत है। डीएम से कहा कि पत्रकारों को प्रसन्न रखना क्योंकि प्रदेश को और मुख्यमंत्री जी को इनके ही माध्यम से पता चलेगा कि कार्यक्रम कैसा रहा। हमें चाय मत पिलाना इन्हें जरूर पिलाना। अगर ये नाराज हो गए तो कल लिखेंगे “न जम पाया कार्यक्रम रंग, रहा फीका”। उसके बाद व्यंग्य करते हुए कहा कि – ‘लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार भी तुम्हारा है, झूठ को भी सच लिख दो,अखबार तुम्हारा है।

बेटियों को लेकर कहा कि ‘दिल के बहलाने का सामान न समझा जाए, मुझको अब इतना भी आसान न समझा जाए, मैं भी बेटों की तरह जीने का हक मांगती हूं, इसको गद्दारी का ऐलान न समझा जाए, अब तो बेटे भी हो जाते हैं घर से रुखसत, सिर्फ बेटी को ही घर का मेहमान न समझा जाए। पुराने दोस्तों पर व्यंग्य करते हुए कहा कि ‘पुरानी दोस्ती को इस नई ताकत से मत तोलो, ये संबंधों की तुरपाई है षड्यंत्रों से मत खोलो, मेरे लहजे की छेनी से गढ़े कुछ देवता तो कल, मेरे शब्दों में मरते थे वो कहते हैं मत बोलो’।

डॉ. कुमार विश्वास ने मंच से अधिकारियों पर व्यंग्य करते हुए कहा कि कानपुर देहात महोत्सव में ऐसा बहुत कुछ हुआ है, जिसके चलते डर लगने लगा है। उन्होंने सीधे तौर पर नाम लेते हुए का सौम्या जी कथक कर रही हैं। वहीं कानपुर देहात थीम सांग लिखने वाले ट्रेजरी अफसर आप कविता लिख रहे हैं। अगर आप सब इस तरह से करेंगे तो मेरी दुकान बंद हो जाएगी। यह सुन मंच के नीचे मौजूद अधिकारी व दर्शक जमकर मुस्कुरा उठे और पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

Author: aman yatra

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