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अमन यात्रा , कानपुर देहात। अतिक्रमण हटाने के दौरान मां-बेटी जिंदा जल गए। बताया जा रहा है कि प्रशासन सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने गया था। जिस घर को गिराया जा रहा था वो लोग मौके पर प्रदर्शन कर रहे थे। यहां पर प्रदर्शनकारियों ने खुद को आग लगाने की धमकी भी दी। हालांकि परिवार का आरोप है कि दबंगों के साथ मिलकर प्रशासनिक अफसरों ने हमारी झोपड़ी में आग लगा दी।आग लगते ही एसडीएम के साथ प्रशासनिक अफसरों और पुलिस की टीम को ग्रामीणों ने दौड़ा लिया। मामले की जानकारी मिलते ही कानपुर के एडीजी समेत अन्य अफसर भी मौके पर पहुंचे हैं। गांव में तनाव को देखते हुए पुलिस और पीएसी तैनात कर दी गई है।
विरोध के दौरान महिला और बेटी ने खुद को झोपड़ी में बंद किया : एसपी मूर्ति
मामले में कानपुर देहात के SP बीबीजीटीएस मूर्ति ने घटना स्थल पर पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी ली। उन्होंने कहा, मौके पर एसडीएम व अन्य प्रशासनिक कर्मचारी अवैध कब्जे को हटाने के लिए आए थे। इस दौरान कुछ लोग कब्जा नहीं हटाए जाने का विरोध कर रहे थे। इसी दौरान महिला और उनकी बेटी भी विरोध कर रही थी। विरोध करते-करते उन दोनों ने खुद को झोपड़ी के अंदर बंद कर लिया। थोड़ी देर के बाद झोपड़ी के अंदर आग लग गई। जिसमें महिला और उनकी बेटी की मौत हो गई है। आग लगने का कारण पता लगाया जा रहा है। घटना में कुछ लोग और लेखपाल का नाम सामने आ रहा है। साथ ही अतिक्रमण हटाने के दौरान जो वीडियो बना है उसको भी देखा जाएगा। जो भी दोषी होगा उस पर सख्त कार्रवाई होगी।
नल और मंदिर तोड़ने के बाद छप्पर भी गिरा दिया
कानपुर देहात मैथा तहसील के मड़ौली गांव में कृष्ण गोपाल दीक्षित के खिलाफ अवैध कब्जा करने की शिकायत थी। सोमवार को एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, पुलिस व राजस्व कर्मियों के साथ गांव में अतिक्रमण हटाने पहुंचे थे।आरोप है कि टीम ने जेसीबी से नल और मंदिर तोड़ने के साथ ही छप्पर गिरा दिया। इससे छप्पर में आग लग गई और वहां मौजूद प्रमिला (44) व उनकी बेटी नेहा (21) की आग की चपेट में आने से जलकर मौके पर ही मौत हो गई। जबकि कृष्ण गोपाल गंभीर रूप से झुलस गए।
उन लोगों ने मेरी झोपड़ी पर आग लगा दी
मामले में पीड़ित परिवार का कहना है कि एसडीएम, तहसीलदार, गांव के अशोक दीक्षित और अनिल दीक्षित के साथ कई और लोग सोमवार को हमारी झोपड़ी पर आए थे। वो लोग बोले झोपड़ी में आग लगा दो। जिसके बाद हमारी झोपड़ी में आग लगा दी गई। तब हम लोग अंदर ही थे। हम लोग बहुत मुश्किल से निकल पाए। गांव का गौरव दीक्षित नाम का युवक दिल्ली में नौकरी करता है। वो लेखपाल और एसओ से मिला हुआ है। उसी ने इन लोगों के साथ मिलकर पैसा देकर हमारी झोपड़ी गिरवा दी है। इन लोगों ने हमारा मंदिर भी तोड़ दिया। मेरी बेटी और पत्नी को मार दिया है।
अफसरों ने भाग कर बचाई जान, कुछ हुए घायल
हादसे की जानकारी मिलते गांव के सैकड़ों लोग जमा हो गए और पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को दौड़ा लिया। अफसर गांव से अपनी जान बचाकर भाग निकले। मामले की जानकारी मिलते ही एसपी कानपुर देहात बीबीजीटीएस मूर्ति समेत अन्य अफसर मौके पर पहुंच गए। एडीजी कानपुर जोन आलोक सिंह ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के दौरान मां-बेटी की जलकर मौत हुई है। मामले की जानकारी मिलते ही मौका-मुआयना करने के लिए वह खुद मौके पर जाने के लिए रवाना हो गए हैं।
ये था जमीनी विवाद जिससे ये घटना जन्मी
मड़ौली गांव निवासी गेदनलाल ने गांव के ही कृष्ण गोपाल दीक्षित, अंश दीक्षित, शिवम आदि के खिलाफ आबादी की जमीन पर कब्जा कर मकान बनाने की शिकायत की थी। इस पर 13 जनवरी 2023 को एसडीएम मैथा के निर्देश पर राजस्व निरीक्षक नंद किशोर, लेखपाल अशोक सिंह चौहान ने जेसीबी से मकान ढहा दिया था।पीड़ित कृष्ण गोपाल व उनके पुत्र शिवम ने परिजनों के साथ लोडर से बकरियां आदि लेकर माती मुख्यालय में धरना देकर आवास मुहैया कराए जाने की मांग की लेकिन एसडीएम मैथा व एडीएम प्रशासन केशव गुप्ता ने उनको माफिया बता दिया। इतना ही नहीं बचा मकान भी ध्वस्त कराने की चेतावनी दी थी। इसके बाद 14 जनवरी को तहसीलदार अकबरपुर रणविजय सिंह ने कृष्ण गोपाल, प्रमिला, शिवम, अंश, नेहा शालिनी व विहिप नेता आदित्य शुक्ला तथा गौरव शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। मौजूदा समय में वह लोग फूस का छप्पर रखकर वहां पर रह रहे थे। उसे ही हटाने के लिए प्रशासनिक अफसरों की टीम पुलिस बल के साथ पहुंची थी।
जिसमें मां-बेटी की जिंदा जलकर मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने गांव के दबंगों के साथ मिलकर हमारी झोपड़ी में आग लगा दी। जिसमें हम लोग बच कर निकल आए लेकिन हमारी मां और बहन की मौत हो गई।
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