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कानपुर देहात

बच्चे नहीं करेंगे स्कूलों की साफ-सफाई

सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद जनपद के सरकारी स्कूलों की हालत बदतर है। जहां हर दिन स्कूल शुरू होने से पहले नौनिहाल खुद हाथों में झाड़ू लेकर साफ सफाई करते हैं। एक से डेढ़ घंटा तक इन विद्यार्थियों का सफाई अभियान जारी रहता है। सरकारी स्कूलों की हालत काफी दयनीय है।

लखनऊ / कानपुर देहात। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद जनपद के सरकारी स्कूलों की हालत बदतर है। जहां हर दिन स्कूल शुरू होने से पहले नौनिहाल खुद हाथों में झाड़ू लेकर साफ सफाई करते हैं। एक से डेढ़ घंटा तक इन विद्यार्थियों का सफाई अभियान जारी रहता है। सरकारी स्कूलों की हालत काफी दयनीय है। एक तरफ राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर कई घोषणाएं करती है। लगातार शिक्षा मंत्री के अलावा शिक्षा पदाधिकारियों की ओर से व्यवस्थाओं को सुधारने को लेकर बयान एवं आदेश दिए जाते हैं लेकिन धरातल पर कुछ और ही दिखता है। सुबह-सुबह जब बच्चे स्कूल पहुंचते हैं तो उनका पहला काम होता है स्कूल प्रांगण के साथ-साथ क्लासरूम की पूरी सफाई करना। हर साल सरकार लाखों का बजट स्कूली शिक्षा पर खर्च करती है।

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किताबें, स्कूल यूनिफॉर्म से लेकर मध्यान्न भोजन तक प्रदान करती है लेकिन एक सफाई कर्मचारी स्कूलों को प्रदान नहीं करती जबकि यह अत्यंत ही आवश्यक है। राज्य सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से एक योजना के तहत बच्चों को स्वच्छ भारत अभियान के साथ जोड़ा जा रहा है। इसी कड़ी में विभिन्न स्कूलों में बच्चों के बीच ही प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, सफाई मंत्री और अन्य मंत्रालय बांटे गए हैं लेकिन इस योजना का मतलब यह नहीं है कि बच्चे रोजाना स्कूल आकर सबसे पहले क्लास रूम की साफ-सफाई झाड़ू उठाकर करें। इस ओर राज्य सरकार को जल्द से जल्द ध्यान देने की जरूरत है नहीं तो यह व्यवस्था वाकई में बेसिक स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को लगातार मुंह चिढ़ाएगी।

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विभिन्न समाचार पत्रों में झाड़ू लगाते बच्चों की तस्वीरें अक्सर प्रकाशित होती रहती हैं और बेसिक शिक्षा विभाग की किरकिरी होती रहती है इन पहलुओं को ध्यान रखते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धी पाण्डेय ने सभी विकासखंडों के खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि नि:शुल्क एवं बाल अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 17 में निहित प्रावधानों के अनुसार बच्चों से झाड़ू या विद्यालय की साफ सफाई करवाना भारतीय संविधान का उल्लंघन तो है ही साथ ही शिक्षण संस्थान में बच्चों से ऐसे कार्य करवाना शारीरिक मानसिक क्रूरता उत्पीड़न अपराध की श्रेणी में आता है अगर किसी विद्यालय से ऐसी शिकायत आती है तो खंड शिक्षा अधिकारी ऐसे प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षकों के विरुद्ध संबंधित थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत कराएं एवं विभागीय कार्यवाही करते हुए अधोहस्ताक्षरी कार्यालय को भी अवगत कराएं।

 

Author: aman yatra

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