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औरैया, विकास सक्सेना : अगर कोई मासूम हंसमुख, भावुक और शर्मीले स्वभाव का है। वह देखने में गोल-मटोल, चपटा चेहरा, आंखें तिरछी, पलकें छोटी और चौड़ी, नाक चपटी, कान छोटा, इसकी ऊंगलियां छोटी और पैर के तलवे सपाट हैं। उसका मानसिक विकास हमउम्र बच्चों से काफी कम है तो सतर्क होने की ज़रूरत है । क्योंकि हो सकता है आपका बच्चा डाउन सिंड्रोम का शिकार हो । यह कहना है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ शिशिर पुरी का।
डॉ पुरी ने बताया कि इस बीमारी के शिकार मासूम की मांसपेशियां ढीली- ढाली व कमजोर होती हैं। ऐसे बच्चों को संगीत एवं नृत्य से विशेष लगाव होता है। वह गाने की धुन सुनकर अनायास थिरकने लगते हैं।
एक अतिरिक्त क्रोमोसोम से होती है यह बीमारी
100 शैय्या जिला संयुक्त चिकित्सालय के एसएनसीयू इंचार्ज और बाल रोग विषेशज्ञ डॉ रंजीत सिंह कुशवाहा ने बताया कि यह बीमारी नवजात को मां के गर्भ में ही होती है। डाउन सिंड्रोम शरीर में क्रोमोसोम की असामान्य संख्या की वजह से होता है। सामान्य तौर पर व्यक्ति के शरीर में 46 क्रोमोसोम होते हैं। इनमें से 23 क्रोमोसोम(गुणसूत्र) मां के और 23 पिता के जीन से मिलते हैँ। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित नवजात में 47 क्रोमोसोम आ जाते हैं। क्रोमोसोम का एक अतिरिक्त जोड़ा शरीर और मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है। ज्यादातर मामलों में संतान को अतिरिक्त क्रोमोसोम मां के जीन से मिलता है। अतिरिक्त क्रोमोसोम को ट्राइसोमी 21 कहते हैं।
देर से पहचान से बढ़ती है परेशानी
बाल रोग विषेशज्ञ डॉ. विनय श्रीवास्तव ने बताया कि डाउन सिंड्रोम की वजह से बच्चे में कई प्रकार की बीमारियां होती हैं। ऐसे में अभिभावकों का सतर्क होना जरूरी है। ऐसे बच्चों को अभिभावकों के विशेष निगरानी की आवश्यक्ता होती है। मानसिक रोग के साथ ही बच्चे को दिल और सांस की बीमारी हो सकती है। समय से बीमारी की पहचान कर डॉक्टर से इलाज कराएं। दिल की जांच जरूर समय-समय पर कराते रहें। यह बच्चे संगीत के शौकीन होते हैं। वह गाड़ी का हार्न सुनकर सड़क की तरफ दौड़ने लगते हैं। ऐसे में वह हादसे का शिकार हो जाते हैं।
यह भी जानें
विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस प्रतिवर्ष दिनांक 21 मार्च को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस की घोषणा वर्ष 2012 को की थी। इसके बाद वर्ष 2012 से पूरी दुनिया में विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया जाने लगा। इस दिवस का उद्देश्य सार्वजनिक जागरूकता और डाउन सिंड्रोम की समझ को बढ़ाना है।
डाउन सिंड्रोम की पहचान
– चपटा चेहरा, खासकर नाक चपटी
– ऊपर की ओर झुकी हुई आंखें
– छोटी गर्दन और छोटे कान
– मुंह से बाहर निकलती रहने वाली जीभ
– मांसपेशियों में कमजोरी, ढीले जोड़ और अत्यधिक लचीलापन
– चौड़े, छोटे हाथ, हथेली में एक लकीर
– अपेक्षाकृत छोटी अंगुलियां, छोटे हाथ और पांव
– छोटा कद
– आंख की पुतली में छोटे सफेद धब्बे
डाउन सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों में लक्षण
– सुनने की क्षमता कम होना
– कानों का संक्रमण
– नजर कमजोर होना
– आंखों में मोतियाबिंद होना
– जन्म के समय दिल में विकृति
– थॉयरॉयड
– आंतों में संक्रमण
– एनीमिया
– मोटापा
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