राजकीय डिग्री कालेज में दुर्व्यवस्थाओं का बोलबाला, जिम्मेदार मलाई काटने में मशगूल
-प्रतिवर्ष भारी भरकम बजट के बाद भी कालेज के व्यवस्थाओं पर उठ रहा सवालिया निशान
-कालेज प्रशासन द्वारा शिक्षकों के साथ तानाशाही रवैया अपनाने का मामला हो रहा उजागर
चकिया, चंदौली। स्थानीय सावित्रीबाई फूले राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पूरी तरह दुर्व्यवस्थाओं का बोलबाला कायम हो चुका है। वहीं कॉलेज के जिम्मेदार दुर्व्यवस्थाओं से नजर हटाकर मस्त मगन होकर मलाई काटने में मसगूल हैं। कॉलेज के दुर्व्यवस्थाओं पर इनकी तनिक भी नजर नहीं जा रही है। कालेज में बने शौचालय से लेकर पीने वाले पानी सहित कॉलेज की सफाई व्यवस्था को लेकर सवालिया निशान उठने लगा है। यही नहीं अवकाश के दिन भी शिक्षकों से तानाशाही रवैया अपनाते हुए ड्यूटी कराने का मामला उजागर हो रहा है। समय रहते शिक्षा विभाग सहित जिला प्रशासन इस मामले पर ध्यान नहीं देता है तो दुर्व्यवस्था बढ़ने के साथ ही कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के भविष्य पर खतरा मंडरा सकता है। बिजली चले जाने के बाद छात्र, छात्राओं तो दूर शिक्षकों को भी पीने का पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है। शासन द्वारा निर्गत जनरेटर का कालेज प्रशासन द्वारा उपयोग न करके उसे कबाड़ के रूप में फेंक दिया गया है।
बतादें कि केंद्र व प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर पूरी तरह अलर्ट है। शासन द्वारा समय, समय पर शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए भारी, भरकम बजट भी राजकीय डिग्री कालेजों को दिया जा रहा है। फिर भी चकिया का एकमात्र राजकीय डिग्री कॉलेज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है। डिग्री कॉलेज में पूरी तरह दुर्व्यवस्था कायम है। इन दुर्व्यस्थाओं पर कॉलेज के जिम्मेदारों का नजर नहीं जा रहा है। जिम्मेदार केवल मलाई काटने में मस्त मगन देखे जा रहे हैं।
राजकीय डिग्री कॉलेज में बने शौचालय पूरी तरह गंदगी के अंबार से पट चुका है। जहां छात्र, छात्राएं लघु शंका जाने के लिए कतराते हैं। कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को खुले में जाकर सौच करना मजबूरी सा बन चुका है। यही नहीं कॉलेज में पढ़ाने वाले शिक्षकों का भी शौचालय गंदगी के अंबार से पटा हुआ है, शौचालय के पास जाने में दुर्गंध उठने लगता है।
गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है, लेकिन छात्र छात्राओं सहित गुरुजनों को पानी पीने तक की व्यवस्थाएं सही ढंग से कालेज प्रशासन नहीं कर पा रहा है। छात्र, छात्राओं का आरोप है कि बिजली चले जाने के बाद कॉलेज में पानी मिलना मुश्किल हो जाता है। बाहर जाकर पानी पीना मजबूरी बन जाता है। छात्र छात्राओं का आरोप रहा कि शासन द्वारा महाविद्यालय को जनरेटर अवगत कराया गया है। लेकिन महाविद्यालय प्रशासन की लापरवाही की वजह से जनरेटर कूड़े में तब्दील हो चुका है। बिजली कट जाने के बाद जनरेटर का उपयोग नहीं किया जाता है। जिससे पानी सहित कॉलेज के कमरों में लगे लाइट व पंखे नहीं चल पाते हैं। पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को कक्षा में पढ़ाई के दौरान बिजली नहीं रहती है तो उन्हें पसीना बहाना पड़ता है।
बतादें कि कॉलेज प्रशासन द्वारा पढ़ाने वाले शिक्षकों के साथ तानाशाही रवैया अपनाने का भी मामला उजागर हो रहा है। यदि समय रहते उच्च शिक्षा विभाग सहित जिला प्रशासन मामले को संज्ञान में नहीं लेता है तो दुर्व्यवस्थाओं का आलम और बढ़ सकता है, वहीं छात्र, छात्राओं के भविष्य पर खतरा भी मडरा सकता है।