कानपुर देहात

बह्मनौती के किसान की बेटी “दीपिका सचान” बनी पीसीएस अधिकारी

भोगनीपुर तहसील क्षेत्र के मलासा विकासखंड के बह्मनौती गांव की दीपिका सचान ने पीसीएस में सेलेक्ट होकर अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए और बह्मनौती के किसान की बेटी पीसीएस अधिकारी के रूप में अपने परिवार का नाम रोशन करने जा रही है।

विमल गुप्ता, पुखरायां। भोगनीपुर तहसील क्षेत्र के मलासा विकासखंड के बह्मनौती गांव की दीपिका सचान ने पीसीएस में सेलेक्ट होकर अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए और बह्मनौती के किसान की बेटी पीसीएस अधिकारी के रूप में अपने परिवार का नाम रोशन करने जा रही है। बह्मनौती के मूलनिवासी धीरेंद्र सचान की बेटी दीपिका ने अपने ननिहाल घाटमपुर क्षेत्र के बेहुटा गांव जाकर नाना के यहां आरंभिक शिक्षा प्राप्त की पर उनके नाना स्व.मन्नीलाल चाहते थे कि उनकी बेटी आईएएस अधिकारी बने इसलिए उन्होंने कानपुर के शिवाजी इंटर कॉलेज में अपनी नातिन का एडमिशन करवा दिया। इंटरमीडिएट तक शिक्षा कानपुर के शिवाजी इंटर कॉलेज में हुई।

 

यहां नींव मजबूत हुई और शिवाजी इंटर कॉलेज के बाद आईआईटी कानपुर में चयन हो गया जहां से उन्होंने बायोलॉजिकल साइंस ब बायो इंजीनियरिंग में बीटेक किया और यहीं से कैंपस सेलेक्शन के जरिए कारपोरेट में 22 लाख के पैकेज में उनका चयन हो गया। 3 वर्ष तक कारपोरेट में जॉब करने के बाद बड़ी बहन अंशिका सचान जोकि बेंगलुरु में सैमसंग कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और लीड मैनेजर है, ने दीपिका को प्रेरित किया कि घर की दिक्कतें वह देख लेगी, उसे जो आईएएस बनने का लक्ष्य नाना- दादा ने दिया है उसे पूरा करें और माता- पिता का नाम रोशन करें।

 

दीपका ने बड़ी बहन अंशिका के कहने पर 22 लाख के पैकेज की जॉब छोड़ दी और जल्दी अपने लक्ष्य की ओर जहां आईएएस में एग्जाम देने के बाद वे सफल नहीं होती हैं और पीसीएस के पहले टेस्ट में भी असफल हो जाती हैं लेकिन 2022 पीसीएस के एग्जाम में उन्होंने सफलता के जो झंडे गाड़े उससे न सिर्फ भोगनीपुर क्षेत्र के लोग प्रफुल्लित हैं बल्कि घाटमपुर व कानपुर के लोगों में भी इसे लेकर हर्ष का माहौल है। दीपिका अपनी सफलता का श्रेय शिवाजी इंटर कॉलेज के संस्थापकों व प्रबंधक अतुल सिंह सचान, अपने मम्मी-पापा, बड़ी बहन अंशिका, चाचा बृजेंद्र कुमार सचान, चाची श्यामा सचान व नानी शिवकली को देती हैं।

 

आईएएस, पीसीएस की तैयारी करने वालों के लिए दीपिका का कहना है कि उसे कई बार लगा कि उसने कहीं 22 लाख रुपए की जॉब छोड़कर गलत तो नहीं कर दिया पर उसके पिता प्रेरित करते थे कि देर से होगा लेकिन उसका चयन जरूर होगा और धैर्य के साथ कोई भी सफलता हासिल की जा सकती है, जल्दबाजी से कुछ भी नहीं मिलता है। अगले वर्ष में दीपिका ने आईएएस एग्जाम की तैयारी करने के लिए भी अपना संकल्प दोहराया है।

Author: aman yatra

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