अमन यात्रा , कानपुर देहात। स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ चकाचक रखने व अलग लुक देकर निजी स्कूलों की तरह सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है और स्कूलों को प्रति वर्ष लाखों रुपए कायाकल्प के लिए प्रदान करती है लेकिन कई स्कूलों के प्रधानाध्यापक इस धनराशि को हजम कर जाते हैं और स्कूलों में एक भी कार्य नहीं करवाते हैं।
ऐसा ही एक मामला सरवनखेड़ा विकासखंड के मॉडल प्राथमिक विद्यालय करसा का सामने आया है। इस स्कूल में कायाकल्प के तहत प्रधानाध्यापिका द्वारा एक भी कार्य नहीं करवाया गया। इस संदर्भ में कई शिकायतें महानिदेशक तक पहुंची तो उन्होंने एक जांच टीम का गठन कर उपरोक्त विद्यालय की जांच करवाई तो शिकायत सही पाई गई। जांच समिति ने पाया कि मॉडल प्राथमिक विद्यालय करसा विकासखण्ड सरवनखेड़ा की प्रधानाध्यापिका प्रीति शर्मा द्वारा वित्तीय अनियमितता / विद्यालय संबन्धी समस्त कार्यों में असहयोग / अपने सहकर्मियों के प्रति अपमानजनक व्यवहार करना / विद्यालय में विगत पांच वर्षो से रंगाई-पुताई एवं मरम्मत आदि का कार्य नहीं कराया गया है। जांच टीम ने इस सम्बन्ध में कार्यवाही जाँच आख्या संस्तुति सहित शासन को भेज दी।
जाँच समिति द्वारा की गयी संस्तुति के क्रम में उप सचिव सोमनाथ ने बेसिक शिक्षा सचिव प्रताप सिंह बघेल को कठोर अनुशासनिक कार्यवाही करने के निर्देश दिए। बेसिक शिक्षा सचिव ने प्रीति शर्मा (प्रधानाध्यापिका) मॉडल प्राथमिक विद्यालय करसा विकासखण्ड सरवनखेड़ा जनपद कानपुर देहात को प्राथमिक विद्यालय सुजानपुर विकासखंड रसूलाबाद कानपुर देहात में पदस्थापित करने का निर्देश बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धी पाण्डेय को दिया किंतु बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अभी तक उक्त शिक्षिका को कार्यमुक्त नहीं किया है जब इस संदर्भ में उनसे संपर्क साधने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन काट दिया फिलहाल कुछ भी हो बेसिक शिक्षा अधिकारी को अपने उच्च स्तर के अधिकारी के आदेश की अवहेलना करना महंगा पड़ सकता है।