क्राफ्टरूट्स प्रदर्शनी: कानपुर में भारतीय हस्तशिल्प का जश्न
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज कानपुर के लाजपत भवन में आयोजित क्राफ्टरूट्स प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में देश के 22 राज्यों के 100 से अधिक कारीगरों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया है।

- लुप्त होती कलाओं को बचाने की दिशा में एक विशेष कदम : आनंदीबेन पटेल
- प्रदर्शनी का आयोजन 8 नवंबर से 12 नवंबर तक किया जा रहा है।
कानपुर: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज कानपुर के लाजपत भवन में आयोजित क्राफ्टरूट्स प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में देश के 22 राज्यों के 100 से अधिक कारीगरों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया है। प्रदर्शनी में राजस्थान की लाख की चूड़ियां और मिनिएचर पेंटिंग, ओडिशा के पट्ट, उत्तर प्रदेश का कांच का सामान, कश्मीर के गर्म कपड़े, फैशन परिधान और कालीन जैसे विभिन्न हस्तशिल्प शामिल हैं।
राज्यपाल का संदेश: राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि यह प्रदर्शनी न केवल कारीगरों को प्रदर्शित करने का एक मंच प्रदान करती है, बल्कि भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रदर्शनियों के माध्यम से हम देश से लुप्त हो रही कलाओं को पुनर्जीवित कर सकते हैं और नई पीढ़ी को इन कलाओं से जोड़ सकते हैं।
आईआईटी कानपुर और क्राफ्टरूट्स संस्था के बीच समझौता: इस अवसर पर आईआईटी कानपुर और क्राफ्टरूट्स संस्था के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता दोनों संस्थाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा और हस्तशिल्प के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करेगा।
कानपुर में हस्तशिल्प का संगम: इस प्रदर्शनी में कानपुर के औद्योगिक जगत, शिक्षा जगत और समाज सेवी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। प्रदर्शनी का आयोजन 8 नवंबर से 12 नवंबर तक किया जा रहा है।
प्रदर्शनी का महत्व: यह प्रदर्शनी भारतीय हस्तशिल्प की विविधता और समृद्धि को प्रदर्शित करती है। यह कारीगरों को अपनी कला को बेचने और अपनी आजीविका चलाने का अवसर प्रदान करती है। साथ ही, यह आम लोगों को भारतीय हस्तशिल्प के बारे में जागरूक करने और इसे खरीदने के लिए प्रोत्साहित करती है।
क्राफ्टरूट्स प्रदर्शनी कानपुर में भारतीय हस्तशिल्प का एक उत्सव है। यह प्रदर्शनी न केवल कारीगरों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन है। यह प्रदर्शनी भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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