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कानपुर देहात। जिले में परिषदीय स्कूलों में शुरु की गई ऑनलाइन अटेंडेंस को लेकर भारी रोष व्याप्त है। इसको लेकर टीचर तरह-तरह के विरोध प्रदर्शन कर प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी और शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंप कर सरकार को इस फैसले को वापस लेने के लिए विरोध कर रहे हैं। वहीं शिक्षकों के प्रदर्शन पर छात्र-छात्राओं के अभिभावकों की मिली जुली प्रतिक्रिया भी आ रही है। ऑनलाइन अटेंडेंस के नियम को अभिभावक भी गलत ठहरा रहे हैं। शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस की प्रक्रिया के फैसले के विरोध में सरकार के खिलाफ शिक्षकों के तमाम संगठन एक साथ खड़े हो गए हैं। जिले में टीचरों की डिजिटल अटेंडेंस को लेकर मीडिया भी सक्रिय भूमिका निभा रही है। बातचीत के दौरान छात्र-छात्राओं के पेरेंट्स ने भी अपनी-अपनी राय साझा की है।
पहले लेनी चाहिए थी राय-
अभिभावक राम सिंह का कहना है कि टीचरों की डिजिटल हाजिरी का आदेश लागू करने से पहले सरकार को शिक्षक संगठनों से राय लेनी चाहिए थी। तत्काल इस फैसले को शिक्षकों पर थोपना सरकार की तानाशाही रवैया की ओर इशारा कर रही है।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा-
छात्र के पेरेंट राहुल त्रिवेदी ने कहा कि सरकार का टीचरों के लिए डिजिटल हाजिरी लगाने का फैसला सही नहीं है। करीब सभी सरकारी शिक्षक समय से स्कूल पहुंचते हैं। सरकार को बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना चाहिए। समय से पाठ्य पुस्तकें दी जानी चाहिए जब हमारा बच्चा अगली कक्षा में पहुंच जाता है तब कहीं पिछली कक्षा की पूरी किताबें मिल पाती हैं। कुछ अभिभावकों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ सरकारी स्कूलों के रास्ते बहुत खराब हैं। इसके चलते यहां तैनात शिक्षकों को डिजिटल अटेंडेंस के समय में छूट देनी चाहिए।
सरकार का रवैया पक्षपात पूर्ण-
राम दुलारे मौर्या ने कहा राज्य सरकार द्वारा केवल शिक्षकों पर ही डिजिटल अटेंडेंस का फैसला लागू करना ठीक नहीं है। इस आदेश को सभी सरकारी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों पर लागू किया जाता तो सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य होता। ऐसा न करने से शिक्षकों के प्रति सरकार का यह रवैया पक्षपात पूर्ण है।
शिक्षक तुगलकी फरमान को निरस्त करने की कर रहे हैं मांग-
शिक्षक ऑनलाइन हाजिरी के आदेश को अव्यावहारिक बताते हुए इस आदेश को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि ऑनलाइन उपस्थिति में जमीनी स्तर पर सैकड़ो समस्याएं आ रही हैं। ऑनलाइन हाजिरी का आदेश व्यावहारिक रूप से अनुचित तो है ही, साथ ही साथ तकनीकी रूप से त्रुटिपूर्ण और मानवता का गला घोटने वाला भी है। उनका यह भी कहना है कि हमारा उद्देश्य विभागीय कार्यों में अवरोध उत्पन्न करना नहीं है। हमारे बेसिक शिक्षक शिक्षामित्र अनुदेशक कर्मचारी विपरीत परिस्थितियों में भी पढ़ाने के अलावा हर विभाग के कार्यों में सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कई सालों से अपने व्यक्तिगत मोबाइल सिम डाटा से विभागीय काम में सहयोग कर रहे हैं। विभाग अगर शिक्षकों के सम्मान की रक्षा नहीं कर सकता तो शिक्षक भी गैर शैक्षणिक कार्यों में सहयोग नहीं करेंगे। प्रांतीय नेतृत्व का स्पष्ट कहना है जब तक मूलभूत समस्याओं का निस्तारण नहीं हो जाता तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
ये हैं 7 सूत्रीय मांगें-
ऑनलाइन डिजिटल उपस्थित शिक्षकों की सेवा के परिस्थिति के दृष्टिगत नियमों व सेवा शर्तों के विपरीत हैं इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। सभी परिषदीय शिक्षकों को अन्य कर्मचारियों की तरह 31 अर्जित अवकाश, 15 हाफ डे अवकाश, 15 आकस्मिक अवकाश एवं अवकाश में बुलाए जाने पर प्रतिकर अवकाश प्रदान किया जाए। सभी शिक्षकों, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए। सभी विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद बहाल करते हुए पदोन्नति की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाए। शिक्षामित्र, अनुदेशक जो वर्षों से विभाग में काम कर रहे हैं उन्हें नियमित किया जाए। शिक्षामित्र, अनुदेशक जो वर्षों से विभाग में काम कर रहे हैं उन्हें नियमित किया जाए। आरटीई ऐक्ट 2009 व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में समस्त गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को मुक्त किया जाए। प्रदेश के समस्त शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों को सामूहिक बीमा, कैशलेस चिकित्सा आदि से बिना प्रीमियम भुगतान के अच्छादित किया जाए।
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