63 वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का भव्यतम उद्घाटन
ललित कला अकादमी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित 63वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का भव्य उद्घाटन प्रसिद्ध अभिनेता मनोज जोशी ने कमानी ऑडिटोरियम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में किया। साथ ही इस अवसर पर बीस पुरस्कार विजेताओं को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।
- बीस पुरस्कार विजेताओं को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।
एजेंसी, नई दिल्ली। ललित कला अकादमी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित 63वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का भव्य उद्घाटन प्रसिद्ध अभिनेता मनोज जोशी ने कमानी ऑडिटोरियम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में किया। साथ ही इस अवसर पर बीस पुरस्कार विजेताओं को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। ललित कला अकादेमी के अध्यक्ष प्रो.वी.नागदास की अध्यक्षता में आयोजित उद्घाटन समारोह में प्रसिद्ध अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और पटकथा लेखक श्री. चंद्रप्रकाश द्विवेदी सम्मानित अतिथि थे और मुंबई के प्रख्यात कलाकार श्री वासुदेव कामत विशिष्ट अतिथि थे।
उद्घाटन समारोह में मंगोलिया के राजदूत श्री डैम्बाजाव्यन गनबोल्ड, इस्राएल के राजदूत श्री नाओर गिलोन, इस्राएल दूतावास की संस्कृति अटैचे मिस रेयूमा मंत्ज़ुर, हंगरी सांस्कृतिक केंद्र दिल्ली के डायरेक्टर/काउंसलर संस्कृति मिस डॉ मारियन एर्डो, अल्जीरिया के राजदूत डॉ अली आचोई, स्पेन के राजदूत हे। जोसे मारिया रिडाओ डोमिंग्गेज़, भारतीय सांस्कृतिक रिसर्च कैथलिक द्वारा अध्यक्ष डॉ संध्या पुरेचा, संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर किशोर के. बासा, भारतीय सांस्कृतिक संबंध आयोग के महानिदेशक श्री कुमार तुहिन, वियतनाम के दूतावास के मंत्री पर्यावरण उपाध्यक्ष डॉ दो थान्ह एवं बड़ी संख्या में कलाकार, कला प्रेमी जनता, कला इतिहासकार, कला आलोचक समेत विभिन्न क्षेत्रों के अनेक गणमान्य लोग शामिल हुए।
सभी बीस राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कलाकारों को एक शॉल, प्रशस्ति प्रमाण पत्र और दो लाख रुपये (2,00,000 रुपये) से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों द्वारा खूबसूरती से डिजाइन किया गया एवं अच्छी तरह से शोध किया गया सचित्र कैटलॉग भी जारी किया गया।
अपने उद्घाटन भाषण में श्री मनोज जोशी ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि ललित कला अकादमी भारतीय कला परिदृश्य को निरंतर नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है। श्री जोशी ने अपने वक्तव्य में आगे कहा- “कला एक असीमित क्षेत्र है। मनुष्य की प्रत्येक अभिव्यक्ति कला है, जब यह हमारे शरीर और पहनावे के माध्यम से व्यक्त होता है तो यह अभिनय बन जाता है और जब यह अन्य सामग्रियों और माध्यमों से व्यक्त होता है तो यह दृश्य कला बन जाता है। दृश्य कला आज रचनात्मकता और सामग्रियों की विभिन्न धाराओं का मिलन बिंदु है। समकालीन कलाकार हमेशा नए माध्यमों और सामग्रियों के साथ प्रयोग करते रहते हैं। इस क्रम में आज का नवीनतम चलन एआई यानी आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस कि बदौलत तैयार कलारूपों को रखा जा रहा है। हमारे रोजमर्रा के जीवन से लेकर फिल्मों तक, विज्ञान से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, मोटर वाहनों के निर्माण से लेकर जीवन शैली तक,आज इस एआई की उपस्थिति हमारे चारों तरफ है। लेकिन इन सबके बावजूद रचनात्मकता में मानव हृदय और हाथों की भागीदारी को कोई कम नहीं कर सका और न कर सकता है। मैं इस 63वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के सभी प्रतिभागियों और पुरस्कार विजेताओं की उनके योगदान के लिए सराहना करता हूं।“
समारोह की अध्यक्षता करते हुए ललित कला अकादेमी के अध्यक्ष प्रो. वी. नागदास ने कहा कि ललित कला अकादेमी हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन को साकार करने की दिशा में काम करने वाली एक साहसी, भविष्यवादी और प्रगतिशील संस्था है। श्री मोदी जी न केवल हमारे देश में बल्कि विश्व में शांति और सद्भाव प्राप्त करने में सांस्कृतिक कूटनीति के प्रभावों के महत्व को रेखांकित करते रहे हैं। कला नरम कूटनीति का एक सशक्त माध्यम है। और ललित कला अकादमी में हम कला की सेवा के माध्यम से पूरी दुनिया में शांति और सद्भाव का संदेश फैलाना चाहते हैं। “हम विंसेंट वान गॉग की कहानियों को जीना पसंद करते हैं जिन्होंने जीवन भर आर्थिक रूप से संघर्ष किया था। लेकिन हम राजा रवि वर्मा को भूल जाते हैं जो एक राजा की तरह रहते थे और अपनी कला का प्रदर्शन करते थे। कलात्मक संघर्ष का मतलब आर्थिक रूप से संघर्ष करना नहीं होना चाहिए। हम युवा प्रतिभाओं को खोजने, उन्हें अवसर प्रदान करने और उन्हें पर्याप्त पुरस्कार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं,” प्रो.नागदास ने कहा।
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने एक अभिनेता, लेखक और निर्देशक के रूप में अपने संघर्ष के दिनों को याद किया। उन्होंने कहा कि संघर्ष हमारे जीवन का एक हिस्सा है और संघर्ष केवल भौतिकवादी संघर्ष तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। एक सच्चे कलाकार के लिए जीवन भर संघर्ष बना रहता है। वह हमेशा किसी नए की तलाश में लगा रहता है और यही एक कलाकार के लिए सबसे बड़ा संघर्ष है। अपने संबोधन में श्री वासुदेव कामत ने इस बात पर जोर दिया कि एक कलाकार के रूप में उसकी दृढ़ता ही सफलता की कुंजी है। अपनी खुद की चित्र भाषा को खोजना बहुत अच्छी बात है। मैंने कई युवा कलाकारों को नए विचारों और नए दृष्टिकोण के साथ आते देखा है। लेकिन उनमें से कुछ अपनी मंज़िल के रास्ते में ही ठहर जाते हैं क्योंकि उनके लिए कोई अवसर या सहायता प्रणाली उपलब्ध नहीं होती है। ऐसी स्थिति में ललित कला अकादेमी की राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी कलाकारों के लिए अपनी योग्यता साबित करने का एक बड़ा मंच है और राष्ट्रीय पुरस्कार से उनके हौसले और आत्मविश्वास को बढ़ावा मिलता है।
उद्घाटन सत्र के बाद इस कार्यक्रम को प्रदर्शनी स्थल, ललित कला अकादमी के रवीन्द्र भवन दीर्घा में स्थानांतरित कर दिया गया। जहां गणमान्य व्यक्तियों द्वारा संयुक्त रूप से बतौर एक नई शुरुआत मंगल दीप प्रज्वलित किया गया। अकादेमी के अध्यक्ष, कलाकारों और क्यूरेटोरियल टीम ने सभी गणमान्य अतिथियों को दीर्घा का दौरा कराया।
ये बीस पुरस्कार विजेता हैं: अभिप्सा प्रधान (दिल्ली), आकाश विश्वास (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह), अनामिका सिंह (यूपी), अनस सुल्तान (यूपी), आरती पालीवाल (नई दिल्ली), भाऊराव बोदाडे (एमपी), चुगुली कुमार साहू (ओडिशा), दीपक कुमार (हरियाणा), दीपक कुमार (यूपी), जान्हवी खेमका (यूपी), किरण अनिला शेरखाने (कर्नाटक), कुमार जिगीशु (नई दिल्ली), महेंद्र प्रताप दिनकर (नई दिल्ली), नागेश बालाजी गाडेकर (गुजरात), नरोत्तम दास (उड़ीसा), पंकज कुमार सिंह (यूपी), पवन कुमार (हरियाणा), प्रियौम तालुकदार(असम), समा कंथा रेड्डी (आंध्र प्रदेश) और सोमेन देबनाथ (त्रिपुरा)।