उन्नाव

Panchayat Chunav में किस्मत आजमाने गोवा की चकाचौंध छोड़ लौटे गांव, पगडंडियों पर दौड़ रहे कॉरपेट पर चलने वाले कदम

उन्नाव में फतेहपुर चौरासी ब्लॉक क्षेत्र में प्रधान और जिला पंचायत सदस्य पद पर चुनाव लड़ने के लिए गोवा से बीस साल बाद परिवार गांव लौटकर आया है। बिल्डिंग कंस्ट्रकशन का काम करने वाले अब गांव में विकास का मन बना रहे हैं।

उन्नाव,अमन यात्रा । त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दो-दो हाथ करके ‘गांव की सरकारÓ के मिनी सचिवालय की बागडोर संभालने की ललक उन्हें 20 साल बाद फिर अपने घर खींच लाई है। उनके परिवार की तीन महिलाएं चुनाव लडऩे की तैयारी करके प्रचार में भी जुट गईं हैं। शहर की चकाचौंध छोड़ वह पगडंडियों पर घूम रहीं हैं। यह परिवार है फतेहपुर चौरासी ब्लाक क्षेत्र के सैता गांव के मूल निवासी आरिफ खान का। वह 13 साल की ही उम्र में गांव छोड़कर गोवा चले गए थे। वहां निर्माण कंपनी बनाकर काम कर रहे हैं, जबकि ब्लॉक के तकिया चौराहे पर उनकी आम मंडी भी है।

वर्ष 1999 में आरिफ खान गोवा में रहने वाले अपने बड़े भाई मुन्ना खान के पास चले गए थे। इसके बाद गांव में रहने का कभी मन नहीं बनाया। अभी तक उन्हें कभी गांव और क्षेत्र के पिछड़ेपन की याद नहीं आई। अब गांव को विकास की मुख्यधारा से जोडऩे का संकल्प लेकर इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपनी पत्नी रुकैया खान को फतेहपुर चौरासी तृतीय से जिला पंचायत सदस्य, मां माशुकन को ग्राम पंचायत सैता से प्रधान और छोटे भाई तारिफ की पत्नी आशिया को क्षेत्र पंचायत सदस्य सैता के पद पर चुनावी समर में उतारने का दावा कर सभी को चौंका दिया है। तारिफ भी उनके साथ ही गोवा में पत्नी के साथ रहते हैं। गांव के लोग उनके चुनाव लडऩे को लेकर खूब चुटकी भी ले रहे हैं।

निजी धन से एलईडी लगवा दे रहे जनसेवा का प्रमाण

आरिफ खान गांव के लोगों की सेवा करने और विकास कराने का प्रमाण देने का काम भी कर रहे हैं। पूरे गांव में अपने पास से रुपये खर्च करके एलईडी भी लगवाई हैं। उनका कहना है कि जीत-हार से मतलब नहीं है। अब गांव का विकास कराना ही संकल्प है।

प्रतिमाह 20 से 30 लाख का टर्नओवर

आरिफ बताते हैं कि सिर्फ उनकी मां गांव में रहती हैं। गोवा में उनकी बिल्डिंग कंस्ट्रकशन कंपनी है। प्रतिमाह करीब 20 से 30 लाख रुपये का टर्नओवर है। ग्राम पंचायत में ग्रामीणों व बच्चों के लिए पार्क बनाने को अपनी जमीन देने का संकल्प लिया है। आचार संहिता समाप्त होने के बाद पार्क बनवाकर सार्वजनिक उपयोग के लिए उसे ग्राम पंचायत को सौंप दूंगा।

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Author: aman yatra


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