मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है : राष्ट्रपति
रविवार की सुबह राष्ट्रपति पैतृक गांव परौंख पहुंच तो ग्रामीणों की खुशी दोगुनी हो गई। पथरी देवी मंदिर में करीब एक घंटे का पूजन करने के बाद अब राष्ट्रपति गांव के मैदान में बने पंडाल में मंच पर पहुंच गए हैं, उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी है।
- उन्होंने कहा, भारतीय संस्कृति में ‘मातृ देवो भव’, ‘पितृ देवो भव’, ‘आचार्य देवो भव’ की शिक्षा दी जाती है। हमारे घर में भी यही सीख दी जाती थी।
- मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने वादा किया है कि यहां जल्द ही बाबा साहब की संगमरमर की भव्य प्रतिमा बनवाई जाएगी।
- मैं अपने पुश्तैनी मकान में गया, जो अब मिलन केंद्र में परिवर्तित हो चुका है।
कानपुर,अमन यात्रा। रविवार की सुबह राष्ट्रपति पैतृक गांव परौंख पहुंच तो ग्रामीणों की खुशी दोगुनी हो गई। पथरी देवी मंदिर में करीब एक घंटे का पूजन करने के बाद अब राष्ट्रपति गांव के मैदान में बने पंडाल में मंच पर पहुंच गए हैं, उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी है। मुख्यमंत्री और राज्यपाल की मौजूदगी में अफसरों ने भी राष्ट्रपति का स्वागत किया है। वहीं राष्ट्रपति ने गांव में अपनों से मिलकर प्यार लुटाया। उनके साथ पत्नी सविता कोविन्द भी मौजूद हैं।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के निवासियों की यादें सदैव मेरे हृदय में विद्यमान रहती हैं। मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे, आगे बढ़कर, देश-सेवा की सदैव प्रेरणा मिलती रही। गांव में सबसे वृद्ध महिला को माता तथा बुजुर्ग पुरुष को पिता का दर्जा देने का संस्कार मेरे परिवार में रहा है, चाहे वे किसी भी जाति, वर्ग या संप्रदाय के हो। आज मुझे यह देख कर खुशी हुई है कि बड़ों का सम्मान करने की हमारे परिवार की यह परंपरा अब भी जारी है।
उन्होंने कहा, भारतीय संस्कृति में ‘मातृ देवो भव’, ‘पितृ देवो भव’, ‘आचार्य देवो भव’ की शिक्षा दी जाती है। हमारे घर में भी यही सीख दी जाती थी। माता-पिता और गुरु तथा बड़ों का सम्मान करना हमारी ग्रामीण संस्कृति में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। आज इस अवसर पर देश के स्वतंत्रता सेनानियों व संविधान-निर्माताओं के अमूल्य बलिदान व योगदान के लिए मैं उन्हें नमन करता हूं। सचमुच में, आज मैं जहां तक पहुंचा हूं उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी और इस क्षेत्र तथा आप सब लोगों के स्नेह व आशीर्वाद को जाता है।
उन्होंने कहा, मैंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा। लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने यह करके दिखा दिया। कहा, मेरे आगमन पर आप जितने खुश हैं उससे ज्यादा कहीं खुशी मुझे है। हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद मैंने सबसे पहले अपनी जन्मभूमि को चरण स्पर्श किया। इस बार काफी विलंब से गांव आना हुआ लेकिन कामना करता हूं कि आगे से ऐसा ना हो। गांव आकर सबसे पहले पथरी देवी के दर्शन किए और उनका आशीर्वाद लिया। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने का सौभाग्य मुझे मिला, वहां पर सामुदायिक केंद्र देखकर खुश हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने वादा किया है कि यहां जल्द ही बाबा साहब की संगमरमर की भव्य प्रतिमा बनवाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि मैं अपने पुश्तैनी मकान में गया, जो अब मिलन केंद्र में परिवर्तित हो चुका है। मुझे संतोष है कि यह केंद्र बेहतर तरीके से काम कर रहा है, मुख्यमंत्री जी ने सुझाव दिया कि यहां महिला उत्थान से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।