आजादी के बाद जिस तरह देश ने पोलियो को हराया वैसे ही अब कोरोना को मिटाने की है बारी
देश का स्वतंत्र होना गर्व की बात थी, लेकिन आबादी और संसाधनों के हिसाब से कई प्रकार की चुनौतियां सामने थीं। इनमें सबसे बड़ी चुनौती थी, कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की। सवाल था कि आखिर किस तरह से लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल व एक उच्च स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण किया जाए।
लखनऊ, अमन यात्रा । देश का स्वतंत्र होना गर्व की बात थी, लेकिन आबादी और संसाधनों के हिसाब से कई प्रकार की चुनौतियां सामने थीं। इनमें सबसे बड़ी चुनौती थी, कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की। सवाल था कि आखिर किस तरह से लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल व एक उच्च स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण किया जाए।
जागरूकता की पहल: उस दौरान संक्रमित बीमारियों से जन जीवन अस्त-व्यस्त था। टीबी, प्लेग, स्माल पाक्स, पोलियो, कालरा आदि के संक्रमण के कारण प्रति वर्ष लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ती थी। दवाओं व वैक्सीन के अभाव से ज्यादा कठिन था, लोगों को इन रोगों के प्रति जागरूक करना और बचाव के तरीके समझाना। इसके लिए व्यापक अभियान चलाए गए और घर-घर जाकर समय पर उपचार लेने व इसे फैलने से रोकने बारे में सजग किया गया।
हारेगा कोरोना भी: 16 जनवरी 2021 से देश में कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई थी। हाल ही में प्रधानमंत्री की जन्मतिथि पर ढाई करोड़ टीके लगाया जाना गौरव की बात है। बेशक, देश जल्द ही कोविड-19 पर भी संपूर्ण टीकाकरण के साथ विजय प्राप्त कर लेगा।
पोलियो मुक्त हुआ देश : पोलियो तो भारत के लिए अभिशाप साबित हो रहा था। इसके कारण हर साल लाखों की संख्या में लोग दिव्यांग हो रहे थे। देश में इसे जड़ से मिटाने के लिए पोलियो वैक्सीन अभियान 1985 में शुरू हुआ। समय के साथ इस मुहिम ने रफ्तार पकड़ी और 1993 में पल्स पोलियो अभियान शुरू किया गया।
पोलियो को जड़ से मिटाने के लिए प्रभावशाली व्यक्तियों को भी शामिल किया गया। इसका परिणाम रहा कि भारत 2011 में पोलियो मुक्त देश घोषित हुआ। इसके बाद तीन साल यानी 2014 तक देश में पोलियो का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया। तीन साल की इस अवधि को एक मानक मानते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को पोलियो-मुक्त देश का दर्जा प्रदान कर दिया।